सम्राट अशोक Emperor Ashoka सम्राट अशोक – भारत के महानतम सम्राट की जीवनगाथा

भारत के महानतम सम्राट अशोक  की जीवनगाथा

सम्राट अशोक Emperor Ashoka

 भारत के महानतम सम्राट अशोक  की जीवनगाथा

✨ प्रस्तावना

सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के उन चंद शासकों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल विशाल साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि युद्ध के पश्चात मानवता, शांति और धर्म का मार्ग अपनाकर पूरी दुनिया के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया। वे मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली सम्राट माने जाते हैं।


🏰 सम्राट अशोक का प्रारंभिक जीवन

  • पूरा नाम: देवानांप्रिय अशोक मौर्य

  • पिता: सम्राट बिंदुसार

  • माता: रानी धर्मा (कुछ स्रोतों में शुभद्रांगी)

  • वंश: मौर्य वंश

  • जन्म: लगभग 304 ई.पू.

  • स्थान: पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार)

सम्राट अशोक का बचपन एक साहसी, कुशाग्र बुद्धि और वीर राजकुमार के रूप में बीता। वह अत्यंत योग्य, रणनीतिक दृष्टि से प्रखर और शासन कला में दक्ष थे। बिंदुसार ने अशोक को तक्षशिला और उज्जयिनी का राज्यपाल नियुक्त किया।


🪓 सत्ता की प्राप्ति और सिंहासनारोहण

सम्राट बिंदुसार की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष हुआ। इतिहासकारों के अनुसार अशोक ने अपने भाइयों को हराकर लगभग 273 ई.पू. में मौर्य साम्राज्य के सम्राट के रूप में सत्ता संभाली। उनका राज्याभिषेक 269 ई.पू. में हुआ था।


⚔️ कलिंग युद्ध: एक निर्णायक मोड़

▪️ काल: 261 ई.पू.

▪️ स्थान: वर्तमान ओडिशा

▪️ कारण: कलिंग स्वतंत्र राज्य था और मौर्य साम्राज्य में सम्मिलित नहीं था।

▪️ परिणाम: युद्ध में लगभग 1 लाख लोग मारे गए, हजारों घायल और अनेक कैदी बने।

युद्ध के बाद अशोक के जीवन में भारी परिवर्तन आया। खून-खराबे और विनाश को देखकर वे मानसिक रूप से व्यथित हो गए। यहीं से उनका जीवन मोक्ष, शांति और धर्म की ओर मुड़ गया।


☸️ बौद्ध धर्म की ओर झुकाव

▪️ गुरु:** उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु

कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया और उसे अपना राज्यधर्म घोषित किया।
उन्होंने अहिंसा, करुणा, नैतिकता और लोककल्याण को अपने शासन का आधार बनाया।

✍️ उन्होंने कहा:

“सबसे बड़ी विजय शस्त्रों से नहीं, धर्म से होती है।”


🪨 अशोक के शिलालेख और अभिलेख

अशोक ने अपने उपदेशों और आदेशों को आमजन तक पहुँचाने के लिए शिलालेखों, स्तंभ लेखों और गुफा लेखों का सहारा लिया।
इनमें ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरामाइक और ग्रीक लिपियाँ प्रमुख थीं।

▪️ प्रमुख स्थान:

  • सांची

  • सारनाथ

  • लौरिया-नंदनगढ़

  • बाराबर की गुफाएँ (बिहार)

  • धर्मराजिका स्तूप (पाकिस्तान)

  • नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका तक शिलालेख मिले हैं।


🌍 अशोक का साम्राज्य और विदेश नीति

अशोक का साम्राज्य भारत से बाहर अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैला हुआ था।

▪️ उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु:

  • अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संगमित्रा को श्रीलंका भेजा।

  • यूनान, मिस्र, सीरिया, म्यांमार तक धर्मदूतों को भेजा।


📜 अशोक के धार्मिक और सामाजिक कार्य

  • अस्पताल, धर्मशालाएँ और कुएं बनवाए

  • पशु चिकित्सा की व्यवस्था

  • सड़कों के किनारे वृक्षारोपण

  • यात्रा सुविधाओं के लिए सराय व जलाशय

  • "धम्म" (धर्म) को जनमानस तक पहुँचाया


🏛️ अशोक का प्रशासन

  • राज्यपाल: “महामात्र” नामक अधिकारी राज्य देखरेख करते थे

  • धम्ममहामात्र: धर्म प्रचार के लिए नियुक्त

  • कड़ा लेकिन न्यायपूर्ण शासन

  • नारी कल्याण, शिक्षा और सामाजिक समानता पर विशेष ध्यान दिया


🕉️ अशोक की मृत्यु

सम्राट अशोक का निधन लगभग 232 ई.पू. में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर पड़ गया, परंतु उनका विचार और बौद्ध धर्म कई शताब्दियों तक फैला रहा।


🏵️ सम्राट अशोक की विरासत

  • भारत सरकार ने अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक चुना है।

  • अशोक चक्र आज भारतीय तिरंगे के मध्य भाग में स्थित है।

  • अशोक के शिलालेख विश्व धरोहर हैं।

  • उन्हें "भारत का महानतम सम्राट" माना जाता है।


📚 निष्कर्ष

सम्राट अशोक न केवल एक महान विजेता थे, बल्कि मानवता के पुजारी, शांति के अग्रदूत और धर्म आधारित शासन के प्रेरणास्त्रोत भी थे। उनका जीवन आज भी एक संदेश देता है कि अहिंसा, करुणा और सेवा से ही सच्चा साम्राज्य बनाया जा सकता है।


🔍 प्रमुख प्रश्न (FAQs)

1. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म कब अपनाया?
कलिंग युद्ध के बाद, लगभग 261 ई.पू. में।

2. अशोक के प्रमुख शिलालेख कहाँ पाए गए हैं?
सांची, सारनाथ, बाराबर गुफा, लौरिया नंदनगढ़, नेपाल, अफगानिस्तान आदि।

3. अशोक चक्र किसका प्रतीक है?
यह धर्म और गति का प्रतीक है, जो भारत के झंडे में भी है।

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