
भारत की भौगोलिक संरचना Geographical Structure of India
- भारत की भौगोलिक संरचना से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है।
- दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने 32,87,263 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है।
- इतना विशाल भू भाग होने के कारण भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं।
- एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं।
- कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है।
- मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है।
भारत की भौगोलिक संरचना में वैज्ञानिक पहलू
- भारत पूरी तरह से भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित है जो भारतीय आस्ट्रेलियाई प्लेट (Indo-Australian Plate) का उपखण्ड है। प्राचीन काल में यह प्लेट गोंडवानालैण्ड का हिस्सा थी और अफ्रीका और अंटार्कटिका के साथ जुड़ी हुई थी।
- तकरीबन 9 करोड़ वर्ष पहले क्रीटेशियस काल में यह प्लेट 15 से॰मी॰/वर्ष की गति से उत्तर की ओर बढ़ने लगी और इओसीन पीरियड में यूरेशियन प्लेट से टकराई।
- भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य स्थित टेथीज भूसन्नति के अवसादों के वालन द्वारा ऊपर उठने से तिब्बत का पठार और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ।
- सामने की द्रोणी में बाद में अवसाद जमा हो जाने से सिन्धु-गंगा मैदान बना। भारतीय प्लेट अभी भी लगभग 5 से॰मी॰/वर्ष की गति से उत्तर की ओर गतिशील है और हिमालय की ऊंचाई में अभी भी 2 मि॰मी॰/वर्ष कि गति से उत्थान हो रहा है।
भारत के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र Major Geographical Areas of India
भारत के भौगोलिक क्षेत्र को मुख्य रूप से 4 भागो में बाटा गया है
- उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र Mountainous region of north India
- उत्तर भारत का विशाल मैदान Great Plain of North India
- भारत का प्रायद्वीपीय पठारी भाग Peninsular plateau of India
- भारत का तटीय मैदान Coastal plains of India
उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र Mountainous Region of North India
- उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र पश्चिम में जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्व में उरूणाचल प्रदेश तक(2500 किमी.) में फैला हुआ है।
- उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र की चौड़ाई पूर्व की अपेक्षा (2000 किमी.) पश्चिम में (500 किमी.) ज्यादा है।
- उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र नवीन मोड़दार पर्वत माला है इसका आकार तलवार की भांती है। इसका कारण है पश्चिमी अपेक्षा पूर्व में दबाव-बल का अधिक होना।
- हिमालय की स्थिती देश के ऊपरी सीमांन्त के सहारे सिंन्धु नदी से ब्रह्मपुत्र नदी तक फैली हुई है।
उत्तर भारत का विशाल मैदान Great Plain of North India
- हिमालय के दक्षिण में एक विस्तृत समतल मैदान है जो लगभग सारे उत्तर भारत में फैला हुआ है।
- उत्तर भारत का विशाल मैदान का निर्माण क्वार्टनरी या नियोजोइक महाकल्प के प्लोस्टीसीन एवं होलोसीन युग में हुआ है।
- यह गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिंधु और उनकी सहायक नदियों द्वारा बना है। यह मैदान गंगा सिंधु के मैदान के नाम से जाना जाता है।
- इसका अधिकतर भाग गंगा, नदी के क्षेत्र में पड़ता है।
- सिंधु और उसकी सहायक नदियों के मैदान का आधे से अधिक भाग अब पश्चिमी पाकिस्तान में पड़ता है और भारत में सतलुज, रावी और व्यास का ही मैदान रह गया है। इसी प्रकार पूर्व में, गंगा नदी के डेल्टा का अधिकांश भाग बांग्लादेश में पड़ता है।
- उत्तर का यह विशाल मैदान पूर्व से पश्चिम, भारत की सीमा के अंदर लगभग 1500 मील लंबा है। इसकी चौड़ाई 150 से 200 मील तक है।
- इस मैदान में कहीं कोई पहाड़ नहीं है।
- भूमि समतल है और समुद्र की सतह से धीरे धीरे पश्चिम की ओर उठती गई है ।अत्यंत चौरस होने के कारण इसकी धरातलीय आकृति में एकरूपता का अनुभव होता है, किंतु वास्तव में कुछ महत्वपूर्ण अंतर पाए जाते हैं।
- अंबाला के आस-पास की भूमि इस मैदान में जल-विभाजक का कार्य करती है क्यौंकि इसके पूर्व की नदियां बंगाल की खाड़ी में और पश्चिम की नदियां अरब सागर में गिरती हैं।
- इस क्षेत्र में नदियों द्वारा जमा की गई जलोढ़ मिट्टी के जमाव से यहां की भूमि उपजाऊ होती है। इसलिए इस क्षेत्र को भारत का अनाज का कटोरा कहा जाता है।
भारत का प्रायद्वीपीय पठारी भाग Peninsular plateau of India
- उत्तरी भारत के मैदान के दक्षिण का पूरा भाग एक विस्तृत पठार है जो दुनिया के सबसे पुराने स्थल खंड का अवशेष है और मुख्यत: कड़ी तथा दानेदार कायांतरित चट्टानों से बना है।
- पठार तीन ओर पहाड़ी श्रेणियों से घिरा है।
- उत्तर में विंध्याचल तथा सतपुड़ा की पहाड़ियाँ हैं, जिनके बीच नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है। नर्मदा घाटी के उत्तर विंध्याचल प्रपाती ढाल बनाता है।
- सतपुड़ा की पर्वतश्रेणी उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है और पूर्व की ओर महादेव पहाड़ी तथा मैकाल पहाड़ी के नाम से जानी जाती है।
- सतपुड़ा के दक्षिण अजंता की पहाड़ियाँ हैं।
- प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर पश्चिमी घाट और पूर्वी किनारे पर पूर्वी घाट नामक पहाडियाँ हैं।
- पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा अधिक ऊँचा है और लगातार कई सौ मीलों तक, 3500 फुट की ऊँचाई तक चला गया है।
- पूर्वी घाट न केवल नीचा है, बल्कि बंगाल की खाड़ी में गिरनेवाली नदियों ने इसे कई स्थानों में काट डाला है जिनमें उत्तर से दक्षिण महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी मुख्य हैं।
- दक्षिण में पूर्वी और पश्चिमी घाट नीलगिरि की पहाड़ी में मिल जाते है, जहाँ दोदाबेटा की 8760 फुट ऊँची चोटी है।
- नीलगिरि के दक्षिण अन्नामलाई तथा कार्डेमम (इलायची) की पहाड़ियाँ हैं।
- अन्नामलाई पहाड़ी पर अनेमुडि, पठार की सबसे ऊँची चोटी (8840 फुट) है।
भारत का तटीय मैदान Coastal plains of India
- भारत के पठार के पश्चिमी तथा पूर्वी किनारों पर उपजाऊ तटीय मैदान मिलते हैं।
- पश्चिमी तटीय मैदान संकीर्ण हैं, इसके उत्तरी भाग को कोंकण तट और दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहते हैं।
- पूर्वी तटीय मैदान अपेक्षाकृत चौड़ा है और उत्तर में उड़ीसा से दक्षिण में कुमारी अंतरीप तक फैला हुआ है।
- महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियाँ जहाँ डेल्टा बनाती हैं वहाँ यह मैदान और भी अधिक चौड़ा हो गया है।
- मैदान का उत्तरी भाग उत्तरी सरकार तट कहलाता है।