
विश्व के अधिकतर सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है
वर्तमान समय में किसी भी देश के विकास के लिए नदियों का विशेष योगदान रहा है
वैसे देखा की जाए तो नदियां में बाढ़, विकास का बाधक भी रही है।
लेकिन एक ओर इसके काफी फायदे भी हैं। आज के समय में नदियों से बड़े-बड़े कल – कारखाने
चलाए रहे हैं।
बिहार की नदियों के पानी का सदुपयोग तथा जल संरक्षण करके देश एवं बिहार की बहुत सारी समस्याओं को हल किया जा सकता हैं।
बिहार की प्रमुख नदियों
बिहार में औसत वार्षिक वर्षा की मात्रा 1009 मिलीमीटर (109 सेंटीमीटर) है, जिसके कारण राज्य में वर्ष-भर बहने वाली नदियों का संजाल बिछा हुआ है.
बिहार की नदियाँ : बिहार के नदियों को उद्गम क्षेत्र के आधार पर दो भागों में विभाजित किया गया है:-
उत्तरी बिहार की नदियाँ या हिमालय प्रदेश की नदियाँ :-
- गंगा, कोसी महानंदा, कमला, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, घाघरा एवं महानंदा नदी आदि
दक्षिणी बिहार की नदियाँ या पठारीय प्रदेश की नदियाँ:-
- सोन, पुनपुन कर्मनाशा, फल्गु, अजय, चानन एवं किऊल नदी आदि
उपयुर्क्त दोनों वर्ग की नदियाँ मुख्य नदी गंगा में मिल जाती है.
हिमालय प्रदेश की नदियाँ जो हिमालय से निकलकर उत्तरी बिहार के मैदान में प्रवाहित होती है, उत्तरी मैदान में समानान्तर एवं विसर्पाकार प्रवाह प्रणाली का निर्माण करती है.
अपने मार्ग में बदलाव करती है. ये नदियाँ पूर्व से पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो रही है.
इस स्थानांतरण का मूल कारण पृथ्वी की घूर्णन गति है. जिसके कारण पश्चिमी तट पर अपरदन अधिक होता है. मार्ग परिवर्तन के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध नदी कोसी है.
गंगा नदी Ganga River
- गंगा नदी बिहार के मध्य भाग में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
- भारत की सबसे लम्बी नदी गंगा की कुल लम्बाई 2500 किलोमीटर है, जिसमें बिहार में 445 किलोमीटर प्रवाहित होती है।
- गंगा नदी का बिहार में प्रवाह क्षेत्र 15165 वर्ग किलोमीटर है।
- इसका उद्गम स्थल उत्तराखण्ड की केदारनाथ चोटी के उत्तर में स्थित गंगोत्री हिमनद का गोमुख है.
- यह नदी उत्तर प्रदेश से बिहार के बक्सर जिला में चौसा के पास प्रवेश करती है. इस क्षेत्र में गंगा, गंडक, सरयू (घाघरा) और कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा रेखा का निर्धारण करती है।
- गंगा नदी में उत्तर दिशा से (बायीं तट पर) घाघरा, गंडक, बागमती, बलान, बूढ़ी गण्डक, कोसी, महानन्दा और कमला नदी आकर मिलती है, जबकि दक्षिण दिशा से (दायी तट पर) सोन, कर्मनाशा, पुनपुन, किऊल आदि नदी आकर मिलती है।
- प्रमुख नदियों में सर्वप्रथम बिहार क्षेत्र में गंगा में सोन नदी दानापुर से 10 किलोमीटर पश्चिम में मनेर के पास आकर मिलती है।
- गंगा नदी बिहार एवं झारखण्ड के साहेबगंज जिला के साथ सीमा रेखा बनाते हुए बंगाल में प्रवेश करती है।
- गंगा नदी अपनी यात्रा क्रम में बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार आदि जिलों में प्रवाहित होती है।
- गंगा नदी का मुहाना बंगाल की खाड़ी है।
सोन नदी – Son River
सोन नदी दक्षिण बिहार की सबसे प्रमुख नदी है। सोन नदी को सोनभद्र शीला के नाम से भी जाना जाता है ।
- सोन नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले से अमरकंटक पहाड़ी के मैकाल पर्वत श्रेणी
- से निकलती है। जिसकी कुल लंबाई 784 किलोमीटर है ।
- सोन नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा झारखंड राज्यों से होकर बिहार के रोहतास जिले में प्रवेश करती है जिसकी बिहार में कुल लंबाई 202 किलोमीटर है ।
- सोन नदी पटना के निकट मनेर में गंगा नदी में मिल जाती है । इसकी प्रमुख सहायक नदियां गोपद, रिहान, कनहर एवं उत्तरी कोयल आदि है।
- सोन हिरण्यवाह तथा सोनभद्र के नाम से प्रसिद्ध सोन नदी दक्षिण बिहार की सबसे प्रमुख नदी है. इसका उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में अमरकंटक (मध्यप्रदेश) के निकट है. सोन के उदगम के निकट से ही नर्मदा एवं महानदी भी निकलती है, जिससे अरीय प्रवाह प्रणाली का निर्माण होता है.
कोसी नदी Kosi River
- कोसी उत्तरी बिहार की प्रमुख नदी है । ऋग्वेद में इस नदी का उल्लेख कौशिकी नाम से किया गया है लेकिन नेपाल में इसे सप्तकोशी के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह नदी 7 नदियों के धाराओं के मिलने से बनी है। इन धाराओं का नाम इन्द्रावती, सनकोसी ताम्रकोसी, लिच्छूकोसी, दूधकोसी, अरुणकोसी और तामूरकोसी है| त्रिवेणी के पास ये सभी धारायें मिलकर कोसी कहलाती है।
- कोसी नदी का उद्गम स्थल गोसाई स्थान (सप्तकौशिकी, नेपाल) है
- कोसी नदी नेपाल और तिब्बत की सीमा रेखा पर स्थित गोसाई थान चोटी से निकलती है।
- कोसी नदी की कुल लंबाई 730 किलोमीटर है। बिहार में इसकी लंबाई 260 किलोमीटर है, पिछले 250 वर्षों में 120 किलोमीटर का विस्तार हुआ है । बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 11,410 वर्ग किमी।
- कोसी नदी बिहार में सुपौल जिला के भीम नगर के निकट प्रवेश करती है।
- कोसी नदी को अपने मार्ग परिवर्तन तथा बाढ़ आने के कारण बिहार का शोक कहा जाता है ।
- कोसी की प्रमुख सहायक नदियां अरुण, तामुर, सुनकोसी, दूधकोशी, तमाकोशी, इंद्रावती तथा लिखुखोला आदि है कोसी के मुख्यधारा अरुण और सुनकोशी से निकलती है।
- कोसी नदी कुरसैला के पास गंगा में मिलने से पूर्व डेल्टा का निर्माण करती है।
- कोसी नदी सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया आदि जिलों में प्रवाहित होती है।
- कोसी नदी मार्ग परिवर्तन के लिए प्रसिद्ध है तथा पिछले 200 वर्षों में 150 किलोमीटर पूर्व से पश्चिम की ओर स्थानांतरित हुई है।
घाघरा (सरयू नदी) Ghagara River
- मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होने वाली घाघरा नदी का उद्गम स्थल गुरला मंधाता चोटी के पास नां फा (नेपाल) है।
- संगम – गंगा नदी (छपरा के पास)।
- घाघरा नदी मापचाचुंगो ग्लेशियर से होती है । घाघरा कुल लंबाई 1080 किलोमीटर है जबकि बिहार में इसकी कुल लंबाई मात्र 83 किलोमीटर ही है ।
- बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 2,995 वर्ग किमी।
- इस नदी को नेपाल में करनाली तथा उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के नाम से जाना जाता हैं ।
- घागरा उत्तरी बिहार की प्रमुख नदियां में से एक है । अयोध्या सरयू नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- घाघरा सारण जिले में छपरा के नजदीक गंगा नदी में मिलती है।
- यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा का निर्धारण करती है।
- इसे उपरी भाग में लखनदेई और करनाली के नाम से भी जाना जाता है।
- सहायक नदियां – राप्ती।
गंडक Gandak River
- गंडक नदी उत्तर पश्चिम बिहार की प्रमुख नदी है।
- गंडक नदी सात धाराओं से मिलकर बनी है. सप्तगंडकी, कालीगंडक, नारायणी, शालिग्रामी, सदानीरा आदि कई नामों से भी जाना जाता है।
- जाने वाली गंडक नदी की उत्पत्ति नेपाल के अन्नपूर्णा श्रेणी के मानंगमोट और कुतांग (नेपाल एवं तिब्बत की सीमा) के मध्य से हुई है।
- गंडक नदी की कुल लंबाई 630 किलोमीटर है । जबकि बिहार में इसकी कुल लंबाई 260 किलोमीटर है।
- गंडक नेपाल में अन्नपूर्णा श्रेणी को काटकर गार्ज का निर्माण करती है।
- यह नदी भैसालोटन (पश्चिमी चम्पारण) के पास बिहार में प्रवेश करती है।
- पश्चिम चम्पारण जिला नगर में बैराज का निर्माण किया गया है।
- यह नदी सारण और मुजफ्फरपुर की सीमा निर्धारित करते हुए सोनपुर और हाजीपुर के मध्य से गुजरती हुई पटना के सामने गंगा में मिल जाती है।
- इसी संगम पर विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र का मेला (सोनपुर पशु मेला) प्रत्येक वर्ष आयोजित होता है।
- पहले या नदी बाढ़ के लिए जाने जाते थे लेकिन बाल्मीकि नगर बांध निर्माण से बढ़ी की समस्या पर नियंत्रण कर लिया गया है।
बूढ़ी गंडक नदी Budhi Gandak River
- बूढ़ी गंडक की उत्पत्ति सोमेश्वर श्रेणी के विशंभरपुर के पास चऊतरवा चौर से हुई है
- बिहार में लंबाई – 320 किमी है बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 9,601 वर्ग किमी है संगम – गंगा नदी (मुंगेर) है
- बूढ़ी गंडक गंडक के समानान्तर उसके पूर्वी भाग में प्रवाहित होती है
- बूढ़ी गंडक नदी उत्तरी बिहार के मैदान को दो भागों में बाँटती है
- हिमालय से निकलकर उत्तर बिहार में प्रवाहित होने वाली उत्तर बिहार की सबसे लम्बी नदी है
- यह उत्तर बिहार की सबसे तेज जलधारा वाली नदी है, जिसका बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर है
- यह गंडक नदी की परित्यक्त धारा है, जो मुख्य नदी के पश्चिम में खिसक जाने से प्रवाहित हुई है
- बूढ़ी गंडक के तट पर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, खगड़िया आदि नगर स्थित हैं
- बूढ़ी गंडक की अन्य सहायक नदियों में डण्डा, पण्डई, मसान, कोहरा, बालोर, सिकटा, तिऊर, तिलावे, धनउती, अंजानकोटे आदि हैं
बागमती नदी Bagmati River
- बूढ़ी गंडक की प्रमुख सहायक नदी बागमती नदी है।
- बागमती की उत्पत्ति नेपाल में महाभारत श्रेणी से हुई है।
- बागमती नदी की कुल लंबाई – 597 किमी। बिहार में लंबाई – 394 किमी है।
- बागमती नदी की बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 6,500 वर्ग किमी है
- यह नदी दरभंगा, मुजफ्फरपुर और मधुबनी जिला में प्रवाहित होती है।
- बागमती की प्रमुख सहायक नदियों में लाल वकैया, मुरेंगी, लखनदेई, अधबारा, सिपरीधार, कोला और छोटी बागमती आदि हैं।
- बागमती नदी की संगम लालबकेया नदी (देवापुर) हैं।
कमला नदी Kamla River
- कमला नदी नेपाल के महाभारत श्रेणी से निकलकर तराई क्षेत्र से प्रभावित होते हुए बिहार में जयनगर (मधुबनी जिला) में प्रवेश करती है
- मिथिला क्षेत्र में इसे गंगा के समान पवित्र माना जाता है
- इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ सोनी, ढोरी और भूतही बलान आदि है
- बलान नदी इसमें पीपराघाट के निकट मिलती है
- कमला नदी कुल लंबाई 328 किमी है बिहार में 120 किलोमीटर प्रवाहित होती हुई कई धाराओं में विभक्त हो जाती है
- बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 4,488 किमी है
- इनमें से अनेकों का नाम कमला ही है
- इसकी एक प्रमुख धारा कोसी से मिलती है जबकि एक धारा खगड़िया जिले में बागमती नदी में मिलती है
- प्रमुख सहायक नदियां : बागमती, कोसी नदी है
महानंदा नदी Mahananda River
- उद्गम स्थल – महाभारत श्रेणी (नेपाल)
- कुल लंबाई – 360 किमी.
- बिहार में लंबाई – 276 किमी.
- बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 6,150 वर्ग किमी.
- बिहार में प्रवेश : किशनगंज
- प्रमुख सहायक नदियाँ : मेची, बला सोन, कंकाई, तंगोन, नागर ।
- संगम – गंगा नदी (मनिहारी, कटिहार के पास)
- भारत के पश्चिम बंगाल व बिहार राज्यों और बांग्लादेश में बहने वाली एक नदी है।
- यह गंगा नदी की एक उपनदी है।
- हिमालय से निकलने वाली गंगा की अंतिम सहायक नदी है।
- यह बिहार व पश्चिम बंगाल का बाडर बनाती हैं।
सोन नदी Soan River
- कुल लंबाई – 780 किमी.
- बिहार में लंबाई – 202 किमी.
- बिहार में जलग्रहण क्षेत्र – 15,820 वर्ग किमी.
- उद्गम स्थल – अमरकंटक चोटी (मध्य प्रदेश)
- संगम – गंगा नदी (दानापुर एवं मनेर के बीच)
- यह नदी भ्रंश घाटी से प्रवाहित होती है. यह नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा झारखण्ड में प्रवाहित होते हुए बिहार के रोहतास जिला में प्रवेश करती है.
- यह दक्षिण बिहार में प्रवाहित होने वाली गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है
- सोन नदी की प्रमुख सहायक नदी गोपद, रिहन्द, कन्हर एवं उत्तरी कोयल है
- सोन नदी पर दक्षिण-पश्चिम बिहार की सबसे प्रमुख सिंचाई योजना निर्मित है
- इस नदी पर प्रथम बाँध 1873-74 में डेहरी में बनाया गया था
- बाद में इस नदी पर इन्द्रपुरी बराज का निर्माण 1968 ई. में किया गया
- आरा के पास कोईलवर में 1440 मीटर लम्बा रेल-सह-सड़क पुल 1862 ई. में सोन नदी पर निर्मित किया गया, जो वर्तमान में अब्दुल बारी पुल के नाम से प्रसिद्ध है
- यह भारत का सबसे लंबा रेल पुल है. 1900 ई. में इस नदी पर डेहरी के पास नेहरू रेल पुल का निर्माण किया गया है.
फल्गू नदी
- फल्गू नदी की कुल लंबाई – 235 किमी है.
- यह नदी छोटानागपुर के पठार से कई धाराओं के रूप में निकलती है.
- इसकी मुख्य धारा निरंजना कहलाती है. बोध गया के पास इसमें मोहाने नामक नदी मिलती है. मोहाने के मिलने के बाद ही इसी फल्गू नदी के नाम से जाना जाता है. ये सभी नदियाँ मौसमी नदी हैं.
- निरंजना नदी के तट पर ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. गया में इस नदी के तट पर पितृ पक्ष का मेला लगता है, जिसमें अपने पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है.
- यह नदी अंतःसलिला या लीलाजन के नाम से भी जानी जाती है.
- जहानाबाद जिला में बराबर पहाड़ी के पास यह नदी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है.
- आगे चलकर फल्गू नदी अनेक शाखाओं, जैसे भोतही, कररुआ, लोकायन, महत्तवाइन आदि में विभाजित हो जाती है.
पुनपुन नदी
- पुनपुन नदी एक मौसमी नदी है, जो कीकट और बमागधी के नाम से भी जानी जाती है.
- पुनपुन नदी झारखण्ड के पलामू जिला के चौरहा पहाड़ी क्षेत्र से निकलती है.
- यह नदी बिहार के औरंगाबाद, अरवल तथा पटना जिला में गंगा के समानांतर प्रवाहित होते हुए फतुहा के पास गंगा नदी में मिल जाती है. दरधा, यमुना, मादर, बिलारो, रामरेखा, आद्री, धोबा और मोरहर पुनपुन की प्रमुख सहायक नदी है.
अजय नदी
- अजय नदी जमुई जिले के दक्षिण में 5 किलोमीटर दूर बटबाड़ से निकलती है.
- अजय नदी बिहार से झारखण्ड में देवघर जिला में प्रवेश करती है.
- इसे अजयावती या अजमती नाम से भी जाना जाता है. यह नदी पूर्व एवं दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए बंगाल में प्रवेश कर गंगा नदी में मिल जाती है.
सकरी नदी
- सकरी नदी का उद्गम स्थल झारखण्ड में छोटानागपुर पठार का उत्तरी भाग (हजारीबाग पठार) है.
- सकरी नदी बिहार के गया, पटना, नवादा और मुंगेर जिला में प्रवाहित होते हुए गंगा नदी में मिल जाती है.
- इस नदी को सुमागधी के नाम से भी जाना जाता है.
कर्मनासा नदी
- कर्मनासा का अर्थ होता है – कर्म का नाश करने वाला.
- कर्मनासा नदी विंध्याचल की पहाड़ियों में सारोदाग (कैमूर) से निकलकर चौसा के पास गंगा नदी में मिल जाती है.
- हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस नदी को अपवित्र या अशुभ माना जाता है.
चानन नदी
- चानन नदी को पंचाने भी कहा जाता है. इसका मूल नाम पंचानन है, जो अपप्रंशित होकर चानन कहलाने लगा.
- चानन नदी पाँच धाराओं के मिलने से विकसित हुईं है, इसलिए इसे पंचानन कहा जाता है.
- चानन नदी की प्रमुख धाराएँ पैमार, तिलैया, धरांजे, महाने आदि छोटानागपुर पठार से निकलती है.
- ये सारी धाराएँ राजगीर के पहाड़ी के अवरोध के कारण नालंदा जिला के गिरियक के पास एक होकर आगे प्रवाहित होती है.
क्यूल नदी
- क्यूल नदी की उत्पत्ति हजारीबाग के पठार से हुई है.
- क्यूल नदी बिहार में जमुई जिला के सतपहाड़ी के पास प्रवेश करती है.
- क्यूल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ बर्नर, अंजन, हरोहर (हलाहल) आदि हैं.
- लखीसराय जिला के सूर्यगढ़ा के पास गंगा नदी में मिल जाती है.