
छत्तीसगढ़ में बौध्द धर्म
छत्तीसगढ़ मेँ बौद्ध धर्म से संबंधित जानकारी क्षेत्रीय राजवंशो के द्वारा बौद्ध धर्म को संरक्षण प्रदान करने और स्थापत्य व प्रतिमाओ के रूप मे पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुये है। बौद्ध ग्रंध अवदानशतक के अनुसार बौद्ध धर्म के सस्थापक गौतम बुद्ध अपने दक्षिण कोसल के यात्रा वृतांत मे सिरपुर आए थे।
किवंदतिया है की यह आगमन राजा विजयस और प्रसेनजीत के बीच युद्ध की स्थिति को टालने और उनके मध्य शांति समझौता करने के उद्देश्य से हुआ था।
बोद्ध भिक्षुक नागार्जुन
- पहली शताब्दी मेँ बोद्ध भिक्षुक नागार्जुन का सातवाहन शासकों के काल मेँ सिरपुर आगमन हुआ था।
- मान्यता है की सातवाहन शासकों द्वारा नागार्जुन के विश्राम हेतु सिरपुर मेँ पाँच मंज़िला संघाराम (महल) का निर्माण करवाया था।
बोद्ध भिक्षुक आनंद
- गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद प्रभु ने छठवीं शताब्दी मेँ सिरपुर मे स्वास्तिक विहार का निर्माण करवाया था, जिसे आनंद प्रभु कुटीर विहार भी कहा जाता है।
व्हेनसांग
- प्रसिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर भारत भ्रमण हेतु आए।
- व्हेनसांग पांडुवंशी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल में 639 ई. में छत्तीसगढ़ आए थे।
- व्हेनसांग ने सिरपुर यात्रा वृतांत का वर्णन सी यू की नामक पुस्तक में छत्तीसगढ़ का उल्लेख किया स लो के नाम से किया है।
- व्हेनसांग ने सिरपुर और मल्हार की यात्रा की थी।
- सी.यु.की. में उल्लेख मिलता है की बुद्ध 3 माह तक दक्षिण कोसल में रुके थे।