
सातवाहन वंश Satvahan Vansh (72 ई. से 200 ई.)
छत्तीसगढ़ में सातवाहन कालीन निम्न लिखीत साक्ष्य प्राप्त हुए है :-
- सातवाहन वंश के प्रतापी शासक गौतमी पुत्र सतकर्णी ने कलिंग व कोसल क्षेत्र में अधिकार किया था। यह मौर्योत्तर काल के महत्वपूर्ण वंश था। जिसके शासन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ भी शामिल था इसके अनेक पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुए है।
सातवाहन वंश की राजधानी
- सातवाहन वंश के शासक की राजधानी प्रतिष्ठान (पैठान ) महाराष्ट्र का था।
सातवाहन वंश कालीन मुद्रा
- सातवाहन वंश के शासक अपिलक की मुद्रा बालपुर जांजगीर चांपा , मल्हार बिलसपुर से प्राप्त हुए है।
- सातवाहन वंश की रोमकालीन स्वर्ण मुद्राएं बिलासपुर जिले के चकरबेडा से प्राप्त हुई है।
सातवाहन वंश कालीन शिलालेख
- राजा वरदत्तश्री की जानकारी गुंजी अभिलेख जांजगीर चांपा जिले के शक्ति से प्राप्त हुई है।
सातवाहन वंश कालीन काष्ठ स्तम्भ
- सातवाहन वंश कालीन काष्ठ स्तम्भ जांजगीर चांपा जिले के किरारी से (1921) को प्राप्त हुई है।
सातवाहन वंश कालीन प्रतिमा
- लेखयुक्त प्रतिमा और मिटटी के मुहर बुढ़ीखार मल्हार बिलासपुर जिले से प्राप्त हुई है जिसमे वरदत्तश्री का वर्णन है जिसे इतिहास कार ने सातवाहन शासक कहा है।
सातवाहन वंश कालीन स्थापत्य कला
- सातवाहन वंश ने बौद्ध भिक्षु नागार्जुन के लिए पांच मंजिला संघाराम का निर्माण करवाया था।