
छत्तीसगढ़ में गुप्त वंश 319 से 550 ई तक रहा।
गुप्त कालीन नाम
- गुप्त काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिणा पथ एवं दक्षिणा कोसल कहा जाता था।
- गुप्त काल में बस्तर को महाकान्तर कहा जाता था।
गुप्त काल की जानकारी
- छत्तीसगढ़ में गुप्त वंश की जानकारी हरिषेण की प्रयाग प्रशस्ति से प्राप्त होती है।
- बानबरद ( जिला दुर्ग ) एवं आरंग ( जिला रायपुर ) से प्राप्त गुप्तकालीन सिक्को से भी स्पस्ट होता है कि यहाँ के क्षेत्रीय शासकों ने गुप्तवंश का प्रभुत्व स्वीकार किया था।
गुप्त कालीन सिक्के
- दुर्ग के पास बानाबरद में 20 गुप्तकालीन सिक्के
- 1972 में दुर्ग जिले के बानाबरद से 20 गुप्त कालीन सिक्के मिले है। जिनमे रामगुप्त,चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त का उल्लेख मिलता है।
- रायपुर जिले के आरंग से कुमारगुप्त का रत्न जड़ित मयूर सिक्का प्राप्त हुई है।
- खरसिया के पास से विक्रमादित्य का धनुर्धारी सिक्का प्राप्त हुए है।
- रायपुर के पिटाईवल्द से 1 सिक्का प्राप्त हुए हैं जिसमें हरिषेण कृत प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त द्वारा पराजित दक्षिण कोशल के राजा महेंद्र व महाकान्तार के अधिपति व्याघ्र्राज का नाम उल्लेखित है।
गुप्त कालीन प्रतिमा एवं स्थल
- गुप्त कालीन मंदिर नागर शैली में होते थे एवं मंदिर लाल ईट बना होता था।
- गुप्त कालीन प्राचीन प्रतिमा मल्हार के बूढीखार से प्राप्त हुई है।
- तालगांव का मंदिर।
- पुजारीपाली के केंवटिन मंदिर।
छत्तीसगढ़ में गुप्त वंशीय प्रमुख शासक
समुद्र गुप्त Samudr Gupt
- समुद्रगुप्त (400 ई.) के दरबारी कवि हरिषेण की प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के दक्षिण भारत के धर्मविजय अभियान का उल्लेख है। इस अभियान के दौरान समुद्रगुप्त ने दक्षिण कोसल के वाकाटक शासक महेंद्र सेन एवं महाकान्तार ( बस्तर क्षेत्र ) के नलवंशीय शासक व्याघ्र्राज को परास्त किया , पर इस क्षेत्र का गुप्त साम्राज्य में विलय नहीं किया गया।
- अभी के महासमुंद के पास बहुत समय तक समुद्र गुप्त की सेना ठहरी हुई थी, जिसके आधार पर महासमुंद जिला का नामकरण माना जाता है।
- महासमुंद के पास में ही कोपरा नामक जगह है जहा से समुद्रगुप्त की पत्नी रूपादेवी से सम्बंधित कई साक्ष्य प्राप्त हुए है।
राम गुप्त Ram Gupt
- दुर्ग जिले के बानाबरद से रामगुप्त के सिक्के प्राप्त हुआ है।
चंद्र गुप्त द्वितीय Chandr Gupt II
- चंद्र गुप्त द्वितीय की बेटी प्रभावती का विवाह वाकाटक वंश के राजा रूद्र सेन से हुवा था।
कुमार गुप्त Kumar Gupt
- रायपुर जिले के आरंग से कुमारगुप्त का रत्न जड़ित मयूर सिक्का प्राप्त हुई है।
भानु गुप्त Bhanu Gupt
- भानु गुप्त के ऐरण अभिलेख में सरभवंशी राजा शरभराज का उल्लेख मिलता है।
विक्रमादित्य Vikrmadity
- खरसिया के पास से विक्रमादित्य का धनुर्धारी सिक्का प्राप्त हुए है।
नोट – गुप्त काल में कालिदास जी ने मेघदूतम की रचना रायगढ़ के पहाड़ियों में की थी। स्पष्ट रूप से साक्ष्य नहीं मिले है पर ऐसा कहा जाता है।