
विटामिन की परिभाषा Definition of vitamin
विटामीन Vitamin या जीवन सत्व भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक होते हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक है। फल एवं सब्जियाँ विटामिन के अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन की खोज 1911 ई. में F.G. हाफकिन्स ने की थी परन्तु विटामिन नाम फंक नामक विज्ञानिक ने दिया था।
विटामिन, एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक हैं, इनसे कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती परंतु यह शरीर के उपापचयी में रासायनिक प्रतिक्रियाओ के नियम के लिए अत्यंत आवश्यक हैं विटामिन को रक्षात्मक पदार्थ भी कहा जाता हैं।
विटामिन से शरीर को किसी भी प्रकार की ऊर्जा प्राप्त नहीं होती हैं और ना ही शरीर को कोशिकाओं में इनका संश्लेषण होता हैं।
विटामिन के खोजकर्ता
- विटामिन A वैकुलर/वैकुलम 1911
- विटामिन B वैकुलर/वैकुलम 1911
- विटामिन B1 कैसिमिर फंक 1912
- विटामिन B2 डी.टी. स्मिथ और ई.जी. हेंड्रिक 1926
- विटामिन B3 (नाइयासिन) काॅनरैड एलवेजम 1937
- विटामिन B9 (फोलिक एसिड) लुसी विल्स 1933
- विटामिन B6 पाॅल जियोर्जी 1934
- विटामिन C ए. होइस्ट और टी. फ्रेलिच 1912
- विटामिन D एडवर्ड मेलानबी 1922
- विटामिन E हर्बर्ट इवांस और कैथरीन बिशप 1922
विटामिन के रासायनिक नाम
- विटामिन A रेटिनॉल
- विटामिन B1 थायमिन
- विटामिन B2 राइबोफ्लेविन
- विटामिन B3 निकोटिनैमाइड या नियासिन
- विटामिन B5 पैंटोथेनिक अम्ल
- विटामिन B6 पाईरीडाक्सिन
- विटामिन B7 बायोटिन
- विटामिन B11 फॉलिक अम्ल
- विटामिन B12 साए नोकाबाला मिन
- विटामिन C एस्कार्बिक एसिड
- विटामिन D कैल्सिफेरॉल
- विटामिन E टोकोफेरॉल
- विटामिन k फिलोक्विंनोन
विटामिन के प्रकार Types of vitamins
घुलनशीलता के आधार पर विटामिन दो प्रकार के होते हैं।
- 1. जल में घुलनशील विटामिन – बिटामिनB1,B2,B3,B5,B6,B7,B9,B12,विटामिन-C
- 2. वसा में घुलनशील विटामिन – विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E, विटामिन K
1. जल में घुलनशील विटामिन Water Soluble Vitamins
- बिटामिन B1,B2,B3,B5,B6,B7,B9,B12, विटामिन C पानी में घुलनशील विटामिन होते है।
- शरीर में इनकी मात्रा संश्लेषित न हो पाने के कारण इनकी पूर्ति भोजन द्वारा ही करनी पड़ती हैं।
- पानी में घुलनशील विटामिन हमारे शरीर में ज्यादा देर तक नही रहते है। पानी में घुलनशील विटामिन को हमारा शरीर जमा नही कर सकता है। ये मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होते है।
- जिस कारण पानी में घुलनशील विटामिन को वसा में घुलनशील विटामिन से ज्यादा बार लेना होता है और ज्यादातर मात्रा में लेना पड़ता है क्योंकि ये शरीर में ज्यादा देर तक टिकते नही है।
2. वसा में घुलनशील विटामिन 2. Fat Soluble Vitamins
- विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E, विटामिन K वसा या कार्बनिक घोलकों में घुलनशील विटामिन है।
- इस वर्ग के कुछ विटामिन शरीर में संश्लेषित हो जाते हैं। परन्तु यह मात्रा शरीर की आवश्यकतानुसार पर्याप्त नहीं रहती। अतः भोजन द्वारा इनकी भी पूर्ति करनी पड़ती है।
- ये विटामिन हमारे शरीर और लिवर (यकृत) के वसा में जमा होते है यानी की वसा में घुल जाते है इसलिए इन्हें वसा में घुलनशील विटामिन कहते है।
- ये पानी में घुलनशील विटामिन की तुलना में ज्यादा देर तक हमारे शरीर में सुरक्षित रहते है।
- वसा में घुलनशील विटामिन आंतों के मार्ग से अवशोषित होते है।
विटामिन की कमी से होने वाले रोग Vitamin Deficiency Diseases
विटामिन की कमी से बहुत प्रकार के रोग होते है। हर विटामिन का हमारे शरीर को सुरक्षित रखने के लिए अपना-अपना काम होता हैं और हर विटामिन के अपने अलग-अलग स्रोत होते है।आइये जाने किस विटामिन की कमी से क्या रोग होते है और विटामिन की पूर्ति के स्रोतों के बारे में।
विटामिन ए Vitamin A
- विटामिन ए की कमी से वृद्धि रुकना रतौधी व जीरोप्थैलमिया, मोतियाबिंद, संक्रमणों का खतरा, त्वचा शुष्क व शल्की, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, दोषपूर्ण दांत आदि।
विटामिन बी1 Vitamin B1
- विटामिन बी1 की कमी से बेरी बेरी, वृद्धि का रुकना, भूख और वजन का घटना, तंत्रिका विकास, थकान का होना, बदहजमी, पेट की खराबी आदि।
विटामिन बी2 Vitamin B2
- विटामिन बी2 की कमी से त्वचा का फटना, आँखों का लाल होना, वृद्धि का रुकना, धुधली दृष्टि का होना, जीभ पर छाले का पड़ जाना ,असमय बुढ़ापा आना, प्रकाश ना सह पाना आदि।
विटामिन बी3 Vitamin B3
- विटामिन बी3 की कमी से जीभ का चिकनापान, त्वचा पर फोड़े फुंसी होना, त्वचा पर दाद होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, मानसिक विकारों का होना, आदि।
विटामिन बी5 Vitamin B5
- विटामिन बी5 की कमी से बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना, पेशियो में लकवा ,पैरो में जलन आदि।
विटामिन बी6 Vitamin B6
- विटामिन बी6 की कमी से एनिमिया, त्वचा रोग, मस्तिष्क का ठीक से काम ना करना, शरीर का भार कम होना आदि।
विटामिन बी7 Vitamin B7
- विटामिन बी7 की कमी से लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि।
विटामिन बी11 Vitamin B11
- विटामिन बी11 की कमी से एनीमिया, पेचिस रोग आदि।
विटामिन बी12 Vitamin B12
- विटामिन बी12 की कमी से एनिमिया, पांडुरोग रोग, रुधिर की कमी।
विटामिन सी Vitamin C
- विटामिन सी की कमी से मसूड़े फूलना, अस्थियों के चारो ओर श्राव, स्कर्वी, अस्थियां कमजोर होना आदि।
विटामिन डी Vitamin D
- विटामिन डी की कमी से सूखा रोग (रिकेट्स), ऑस्टियोमलेशिया, कमजोर दांत, दातों का सड़ना आदि।
विटामिन ई Vitamin E
- विटामिन ई की कमी से जनन शक्ति का कम होना।
विटामिन के Vitamin K
- विटामिन के की कमी से रक्त का थक्का न जमना, ऐंठन, हीमोफीलिया आदि।
फोलिक एसिड Folic Acid
- फोलिक एसिड की कमी से अनीमिया तथा पेचिश रोग होता है।
विटामिन ए Vitamin A
- विटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनॉल है। इसे Antixerophthalmic विटामिन भी कहते है।
- विटामिन A, दो फार्म (रेटिनॉल और कैरोटीन) में पाए जाते हैं।
- विटामिन A आँखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह संक्रामक रोगों से बचाता है।यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रंथि, दाँत, मसूड़ा और हड्डी।
- सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ विटामिन A के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधि (Night Blindness) कहते हैं।
- इसके साथ आँखों में आँसूओं के कमी से आँखें सूख जाती हैं और उनमें घाव भी हो सकते हैं।
- बच्चों में विटामिन A के अभाव में विकास भी धीरे हो जाता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है।
- त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है।
- संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ताजे फल दूध माॅस अण्डा मछली का तेल गाजर मक्खन हरी सब्जियों में होता है A का संश्लेषण पौधे के पीले या नारंगी वर्णक से प्राप्त केरोटिन से यकृत(लीवर) में होता हैै A दृष्टिवर्णक रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक होता है रंतौधी मोतियाबिंद जीरोफ्थेल्मिया त्वचा शुष्क, शल्की संक्रमण का खतरा आंख का लैंस दूधिया आवरण से अपारदर्शक होने से मोतियाबिंद होता है।
- विटामिन A रेटिनॉल और केरोटीन दो फार्म में पाया जाता है। विटामिन-A हमारे शरीर अंग जैसे आँख, दाँत,बाल,त्वचा, मसूड़े हड्डियां,कुछ ऐसे अंग है जिनकी सुरक्षा के लिए विटामिन-A बहुत जरूरी होता है।
- विटामिन A की कमी से ज्यादातर आँखों की बीमारियां होती हैं।आँखों की बीमारियां जैसे-रतोंधी बीमारी जिससे ज्यादातर लोग लोग परेशान रहते है,आँखों में सफेद हिस्से में धब्बे पड़ जाना,बाल और त्वचा भी इसके कमी से बहुत प्रभावित होते है इसकी कमी से बाल और त्वचा में रूखापन आ जाता है।
- विटामिन A रक्त के अंदर कैल्शियम की पूर्ति करता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाने में बहुत सहायता करता है।
विटामिन A की कमी के लक्षण
- रात के समय कम दिखाई देना
- त्वचा में सुखा पन आना
- आंखों का सुखना
- संवेदी क्षमता में कमी आना
विटामिन ए Vitamin A की कमी से होने वाले रोग
- विटामिन ए की कमी से वृद्धि रुकना रतौधी व जीरोप्थैलमिया, मोतियाबिंद, संक्रमणों का खतरा, त्वचा शुष्क व शल्की, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, आंख के सफेद हिस्से में धब्बे, दोषपूर्ण दांत आदि।
विटामिन A की पूर्ति के स्रोत Sources of Vitamin A supply
- विटामिन A कमी की पूर्ति के लिए मुख्य स्रोत हरी सब्जियां, दूध, टमाटर, पनीर, गाजर, चुकंदर, पीले रंग के फल अंडा, मछलीयकृत तेल आदि विटामिन A के मुख्य स्रोत है।
विटामिन बी Vitamin B
- विटामिन बी शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है।
- विटामिन B की कमी से शरीर अनेक रोगो का घर बन जाता है। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स कहलाते हैं। हालाँकि सभी विभाग एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं।
- विटामिन-B हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन व डीएनए के निर्माण करने व उनकी मरम्मत में मदद करता है।
- विटामिन B के कॉम्प्लेक्स B1, B2, B3, B5, B6, B7, B11 और B12 होते हैं।
- विटामिन B बुद्धि, रीढ़ की हड्डी,लाल रक्त कणिकाओं का निमार्ण और नसों के तत्वों को बनाने में सहायक होता है।
- इसकी कमी से त्वचा से जुड़ी बिमारियां बेरी-बेरी, एनीमिया, मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना जैसे मंदबुद्धि, आदि बीमारियां होती है,जो काफी गंभीर होते है।
- विटामिन B की कमी ज्यादातर शाकाहारी लोगों में होती है क्योंकि विटामिन B ज्यादातर जानवरों के मांस में पाया जाता है। इसलिए विटामिन B की कमी से होने वाले रोगों का प्रभाव मांसाहारी लोगों पे बहुत कम पड़ता है।
विटामिन बी1 Vitamin B1 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी1 की कमी से बेरी बेरी, वृद्धि का रुकना, भूख और वजन का घटना, एनीमिया, मंदबुद्धि, त्वचा की बीमारियां, तंत्रिका विकास, थकान का होना, बदहजमी, पेट की खराबी आदि।
विटामिन B1 की कमी के लक्षण
- चिड़चिड़ापन महसूस करना।
- मांसपेशियों में कमजोरी होना।
- हृदय का आकार बढ़ना।
- उलझन महसूस करना।
- तीव्रता से वजन घटना।
- थकान महसूस होना।
- याददाश्त कमजोर होना।
- तंत्रिकाओं में क्षति होना।
- भूख कम लगना।
- हाथों और पैरों में झुनझुनी का आभास होना।
विटामिन B1 के स्त्रोत
मुंगफली, तिल, सुखी मिर्च, बिना घुली दाल, अंडा, सब्जियां आदि हैं।
विटामिन बी2 Vitamin B2 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी2 की कमी से त्वचा का फटना, आँखों का लाल होना, वृद्धि का रुकना, धुधली दृष्टि का होना, जीभ पर छाले का पड़ जाना ,असमय बुढ़ापा आना, प्रकाश ना सह पाना आदि।
विटामिन B2 की कमी के लक्षण
- जीभ में सूजन आना।
- आंखे जल्दी थक जाना।
- गले में दर्द या सूजन आना।
- धुंधला दिखाई देना।
- आंखों में दर्द और खुजली होना।
- आंखों से खून जैसे धब्बे और पानी आना।
- कमजोरी आना।
- आंखे प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाना।
विटामिन B2 के स्त्रोत
खमीर, कलेजी, मांस, हरी सब्जियां दूध आदि हैं।
विटामिन बी3 Vitamin B3 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी3 की कमी से जीभ का चिकनापान, त्वचा पर फोड़े फुंसी होना, त्वचा पर दाद होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, मानसिक विकारों का होना, आदि।
विटामिन B3 की कमी के लक्षण
- कमजोरी आना।
- भूख कम लगना।
- त्वचा में सूजन।
- डिप्रेशन में चले जाना।
- याददाश्त कम होना।
- थकान महसूस होना।
- जीभ में लालिमा व दर्द होना।
- आंखे प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाना।
- त्वचा में अतिसंवेदनशीलता जिसमें त्वचा पर चकते भी शामिल हैं।
विटामिन B3 के स्त्रोत
मांस, मुंगफली, आलू, टमाटर, सब्जियां आदि हैं।
विटामिन बी5 Vitamin B5 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी5 की कमी से बाल सफेद होना, मंदबुद्धि होना, पेशियो में लकवा ,पैरो में जलन आदि
विटामिन B5 की कमी के लक्षण
- थोड़ा-थोड़ा पेट दर्द होना।
- उल्ली का आना।
- अनिद्रा की समस्या होना।
- डिप्रेशन में चले जाना।
- पैरों में जलन होना।
- थकावट महसूस करना।
- चिड़चिड़ापन होना।
विटामिन B5 के स्त्रोत
मांस, दूध, मुंगफली, गन्ना, टमाटर आदि हैं।
विटामिन बी6 Vitamin B6 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी6 की कमी से एनिमिया, त्वचा रोग, मस्तिष्क का ठीक से काम ना करना, शरीर का भार कम होना आदि।
विटामिन B6 की कमी के लक्षण
- ऊर्जा में कमी या थकान।
- उलझन महसूस होना।
- मांसपेशियों में दर्द।
- मुड़ में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, चिंता और डिप्रेशन।
विटामिन B6 के स्त्रोत
यकृत, मांस, अनाज आदि हैं।
विटामिन बी7 Vitamin B7 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी7 की कमी से लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आदि।
विटामिन B7 की कमी के लक्षण
- मांसपेशियों में ऐठन।
- त्वचा में रूखापन।
- तंत्रिक में क्षति।
- मुड़ में बदलाव।
- बाल कमजोर पड़ना या झड़ना।
- हाथों व पैरों में झुनझुनी महसूस होना।
- ऊर्जा में कमी या लंबे समय से थकान महसूस होना।
विटामिन B7 के स्त्रोत
मांस, अंडा, यकृत, दूध आदि हैं।
विटामिन बी11 Vitamin B11 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी11 की कमी से एनीमिया, पेचिस
रोग आदि।
विटामिन B11 के स्त्रोत
दाल, यकृत ,सब्जियां, अंडा, सेम आदि हैं।
विटामिन बी12 Vitamin B12 की कमी से होने वाले रोग
विटामिन बी12 की कमी से एनिमिया, पांडुरोग रोग, रुधिर की कमी।
विटामिन B12 की कमी के लक्षण
- कमजोरी, थकान या सिर घुमना।
- कम दिखना।
- दिल घबराना और सांस फूलना।
- त्वचा में पीलापन।
- जीभ में चिकनापन।
- कब्ज, दस्त, भूख कम लगना या पेट मैं गैस बनना।
- तंत्रिक संबंधी समस्याएं जैसे:- झुनझुनी मांसपेशियों में कमजोरी और चलने में कठिनाई।
- मानसिक समस्याएं जैसे:- डिप्रेशन, याददाश्त कम होना और व्यवहार में बदलाव।
विटामिन B12 के स्त्रोत
- मांस, कलेजी, दूध आदि हैं।
विटामिन सी Vitamin C
- विटामिन सी को एस्कोरबिक ऐसिड के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्वप्रथम गायोर्जी ने प्रथक किया था।
- यह शरीर की कोशिकाओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को आकार बनाने में मदद मिलता है।
- यह शरीर के ब्लड वेस्सल या खून की नसों (रक्त वाहिकाओं, blood vessels) को मजबूत बनाता है। इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूड़ों से खून बहता है, दाँत दर्द हो सकता है, दाँत ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं।
- त्वचा या चर्म में भी चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है।
- आपको भूख कम लगेगी। बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी (scurvy) रोग हो सकता है। विटामिन सी की कमी से शरीर का वजन कम हो जाता है
विटामिन सी Vitamin C की कमी से होने वाले रोग
- विटामिन सी की कमी से मसूड़े फूलना, अस्थियों के चारो ओर श्राव, स्कर्वी, अस्थियां कमजोर होना, शरीर में थकान, मासंपेशियों की कमजोरी, मसूढ़ों से खून आना, टांगों में चकत्ते पड़ना आदि।
विटामिन C की कमी के लक्षण
- मसूड़ो में खून बहना।
- चोंट का ना भरना।
- जोड़ों में सूजन।
- धीमी गति से घाव भरना।
- शरीर में थकान महसूस होना।
विटामिन C के स्रोत Sources of Vitamin C
- विटामिन C एक एस्कार्बिक अम्ल होता है।
- विटामिन C शरीर की मूलभूत रासायनिक क्रियाओं में यौगिकों का निर्माण और उन्हें सहयोग करता है।
- ये विटामिन हमारे शरीर की तन्त्रिकाओं में संदेश पहुचाने में सहायक होता है और शरीर की कोशिकाओ में उर्जा प्रवाहित करता है।
- विटामिन C की कमी से स्कर्वी नामक रोग से ग्रसित होते हैं। स्कर्वी रोग के लक्षण शरीर में कमजोरी, थकान, मसूड़े फट जाते है, मसूड़ो से खून आना, मांशपेशियों व जोड़ों में दर्द होना, आदि होते है। विटामिन C की कमी से शरीर मे बहुत छोटी-छोटी बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी नही रहती हैं। इसलिये विटामिन C हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है।
- विटामिन C के मुख्य स्रोत खट्टे रसीले फल जैसे सन्तरा, नींबू, नारंगी, आँवला,अँगूर, सेब आदि होते हैं इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन C पाया जाता है।
- हरी सब्जियों में पालक में विटामिन C बहुत अच्छे मात्रा में पाया जाता है।
- अंकुरित चने में भी विटामिन C अच्छे मात्रा प्रदान करते हैं।
विटामिन डी Vitamin D
- विटामिन डी के अन्य नाम विटामिन डी2 या एर्गोकैल्सिफेरॉल (Vitamin D2 or Ergocalciferol), विटामिन डी3 या कोलेकेल्सिफेरोल (Vitamin D3 or Cholecalciferol)
- यह शरीर की हड्डीयों को बनाने और संभाल कर रखने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर में केल्शियम (calcium) के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके अभाव में हड्डीयाँ कमजोर हो जाता हैे और टूट भी सकती हैं (फ्रेकचर या Fracture)। बच्चों में इस स्थिती को रिकेट्स (Rickets) कहते हैं और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया (osteomalacia) कहते हैं।
- इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं।
- इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में, खून के नसों में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकती है। यह केल्सियम (calcium) का बना होता है। इससे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप बढ सकता है, खून में कोलेस्ट्रोल अधिक हो सकता है और दिल पर असर पर सकता है। साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकते है।
विटामिन डी Vitamin D की कमी से होने वाले रोग
- विटामिन डी की कमी से सूखा रोग (रिकेट्स), ऑस्टियोमलेशिया, कमजोर दांत, दातों का सड़ना आदि।
- विटामिन D की कमी से हमारे शरीर हड्डियां कमजोर हो जाती है, अगर इसकी ज्यादा मात्रा में कमी हो तो हमारे हाथ पांव की हड्डियों में बिल्कुल जान नही रहती है और जिससे चलना भी मुश्किल हो जाता है।
- इसकी कमी से हाथ-पांव की हड्डियां टेढ़ी भी हो सकती है।
- आपने अक्सर देखा होगा कुछ मोटे लोग चल भी नही पाते है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इनमें विटामिन D की कमी होती है।
- मोटापा विटामिन D के स्तर को कम करता है। इसलिय मोटे लोगों को विटामिन D की पूर्ति के लिये मोटापा कम करना बहुत ही आवश्यक है।
विटामिन D की कमी के लक्षण
- शरीर में ज्यादा थकान लगना, बोन फ्रैक्चर, मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द, हृदय की बीमारी, रोग प्रतिरोधक क्षमता, बच्चों में गंभीर अस्थमा, जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर दर्द, मांशपेशियों की कमजोरी, मल्टिपल सिरोसिस, एक्जिमा, थकान, डायबिटीज, कैंसर, टीबी, हड्डी का दर्द जैसे पीठ दर्द आदि होता है।
विटामिन D के स्रोत Sources of Vitamin D
- जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती हैं।
- अगर सप्ताह में दो बार दस से पंद्रह मिनट तक शरीर की खुली त्वचा पर सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणें पड़ती हैं तो शरीर की विटामिन D की पूर्ति हो जाती है।
- विटामिन D का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की कीरणे हैं, यकृत तेल, दूध, चिकन, सोयाबीन, मशरूम, मछली, अंडे, सोयाबीन आदि विटामिन D के बहुत अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन ई Vitamin E
- विटामिन ई, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कोशिका (Red Blood Cell) को बनाने के काम आता है। इसे टोकोफ़ेरल भी कहते हैं। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां एवं अन्य टिशू या ऊत्तक। यह शरीर को ऑक्सिजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ऑक्सिजन रेडिकल्स (oxygen radicals) कहते हैं। इस गुण को एंटीओक्सिडेंट (anti-oxidants) कहा जाता है।
- विटामिन ई, कोशिका के अस्तित्व बनाये रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाये रखता है। विटामिन ई, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।
- समय से पहले हुये या प्रीमेच्योर नवजात शिशु (Premature infants) में, विटामिन ई की कमी से खून में कमी हो जाती है। इससे उनमें एनिमीया (Anemia) हो सकता है।
विटामिन ई Vitamin E की कमी से होने वाले रोग
- विटामिन E हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाये रखने में सहायक होते हैं। ये हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक विटामिन होता हैं।
- विटामिन E की कमी से हमारे शरीर में एलर्जी होती है, केलोस्ट्रोल बढ़ जाता है, इसकी कमी में समय से पहले हुवे नवजात शिशु के खून में कमी आ जाती है, नवजात शिशुओं में हेमोलिटिक एनीमिया हो सकता है।
- विटामिन ई की कमी से जनन शक्ति का कम होना।
- हेमोलिटिक एनीमिया, न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ, बच्चों का सिस्टिक फ़ायब्रोसिस, मसल वीकनेस, रेटिनोपैथी, अल्झाइमर, पार्किन्सन डिजीज, डेमेंशिया आदि
विटामिन E की कमी के लक्षण
- बार बार डायरिया होना।
- थकावट सी लगना।
- कमजोर हड्डियाँ।
- घाव जल्दी न भरना।
- मसूढ़ों से खून आना।
- गर्मियों में नाक से खून आना।
- चिकना मल होना।
- मांशपेशियों में दर्द और कमजोरी।
- शरीर संचालन में समस्या होना
- स्किन रोग
- बाल झड़ना आदि
विटामिन E के स्रोत Sources of Vitamin E
- विटामिन E ऐसा पोषक तत्व है, जोकि कई प्रकार से अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है यह हड्डियों, हृदय और मांशपेशियों को स्वस्थ बनाये रखने और इन अंगों को सही तरीके से कार्य करते रहने के लिए जरुरी हैं
- विटामिन E लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में आवश्यक है यह शरीर में विटामिन A, विटामिन K, आयरन, सेलेनियम का सही स्तर बनाये रखता है।
- विटामिन E हरी पत्तेदार सब्जियों, बादाम, कीवी फल, मक्खन, अंकुरित गेंहूँ, वनस्पति तेल, अंडो में, दूध में, अखरोट, सरसों आदि येसे स्रोत हैं जिनमें विटामिन E भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं।
विटामिन के Vitamin K
विटामिन के Vitamin K की कमी से होने वाले रोग
- विटामिन K की कमी से रक्त का थक्का औसतन 2 से 5 मिनट में जमता हैं किंतु हीमोफीलिया (अनुवांशिक रोग) से पीड़ित व्यक्ति के रक्त का थक्का आधा घण्टा से 24 घण्टे तक रक्त का थक्का नहीं जमता हैं।
- यह रोग अधिकांश पुरुषों में होता हैं। किंतु महिलाओं के 23 जोड़े के गुण सूत्र (XX) में परिवर्तन से यह महिलाओं में भी हो जाता हैं इस रोग की वाहक महिलाओं में भी हो जाता हैं। इस रोग की वाहक महिलाओं को माना जाता हैं।
- विटामिन K की कमी का लक्षण अत्याधिक रक्त बहना
- नोट:- हाल्टर के अनुसार यह रोग महारानी विक्टोरिया से फैलना शुरू हुआ था।
- विटामिन के की कमी से रक्त का थक्का न जमना, ऐंठन, हीमोफीलिया आदि।
विटामिन K के स्रोत Sources of Vitamin K
- विटामिन K के स्त्रोत टमाटर, हरी सब्जियां, आदि हैं।