
राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों का कुल क्षेत्रफल 2929 वर्ग किमी तथा अभ्यारण्यों का कुल क्षेत्रफल 3577 वर्ग किमी है। इन दोनों का सम्मिलित क्षेत्रफल 6506 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल ( 135191 वर्ग किमी ) का 4.81 प्रतिशत है। यह राज्य के कुल वन क्षेत्र ( 59772 वर्ग किमी ) का 10.88 प्रतिशत है।
छत्तीसगढ़ के वन्य जीव अभ्यारण | Wildlife Sanctuary of Chhattisgarh In Hindi
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 11 वन्य जीव अभ्यारण है
- तमोरपिंगला
- सीतानदी
- अचानकमार
- सेमरसोत
- गोमरदा
- पामेड़
- बारनवापारा
- उदंती
- भोरमदेव
- भैरमगढ़
- बादलखोल
(1) सीतानंदी वन्य जीव अभयारण्य
- जिला : धमतरी
- स्थापना :1974
- छेत्रफल : 559 वर्ग km
विशेष
- सबसे प्राचीन अभ्यारण है
- 2009 से टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है
- 2006 में उदयन्ती के साथ प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल
- सबसे ज्यादा तेंदुआ यही पाया जाता है सीतानदी के नाम पर नामांकरण है
- नाम करण सीतानंदी नदी के नाम पर किया गया है
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- बाघ, चीते, उड़ने वाली गिलहरी,
- भेडिए, चार सींग वाले एंटीलॉप,
- चिंकारा, ब्लैक बक, जंगली बिल्ली,
- बार्किंग डीयर, साही, बंदर, बायसन,
- पट्टीदार हाइना, स्लॉथ बीयर,
- जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर,
- नील गाय, गौर, मुंट जैक,
- जंगली सुअर, कोबरा,
अनेक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, इसमें से कुछ नाम हैं
- तोते,
- बुलबुल,
- पी फाउल,
- फीसेंट, क्रीमसन बारबेट,
- तीतर,
- ट्रीपाइ,
- रैकिट टेल्ड ड्रोंगो,
- अगरेट
- हेरॉन्स।
वनस्पति में मुख्यत:
नम पेनिन सुलर साल, टीक और बांस के वन शामिल हैं
(2) अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य
- स्थापना : 1975
- राष्ट्रीय उद्यान : 1981
- प्रोजेक्ट टाइगर :1983
- टाइगर रिजर्व : 2009
- जिला : मुंगेली
- क्षेत्रफल : 552 वर्ग किमी
विशेष
- अचानकमार वन्य जीवन अभयारण्य देश का 14 व बायोस्फियर रिजर्व है
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- चीतल, जंगली भालू, तेंदुआ, बाघ, चीते, पट्टीदार हाइना,
- केनिस ओरियस भेडिया, स्लॉथ बीयर, मेलुरसस,
- अर्सीनस, भारतीय जंगली कुत्ते, कोऑन, अलपिन्स,
- चीतल, चार सींग वाले एंटीलॉप, नील गाय, बोसेलाफस,
- ट्रेगोकेमेलस, चिंकारा, ब्लैक बक, जंगली सूअर
(3) बादलखोल वन्य जीवन अभयारण्य:
- जिला :जशपुर
- स्थापना :1975
- छेत्रफल :105 वर्ग km
विशेष
- प्रमुख वृक्ष साल एवं मिश्रित प्रकार के वन है जिसमें साजा, धावडा, सलई, बीजा,
- खम्हार, हल्दू, अर्जुन, महुहा, तेन्दू, आंवला, चार, तिनसा, कर्रा,
- औषधिय पौधे जैसे – सतावर, तिखरु, काली/सफेद मूसली, रामदातुन, चिरायता
- वनग्राम में 90 प्रतिशत लोगा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के है।
- इस अभ्यारण्य के अंदर चार वनग्राम है जिसमें 118 परिवार निवास करते है।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- तेन्दूआ, चितल, कोटरी, जंगली सुअर,
- जंगली बिल्ली, भालू, लकड बग्घा,
- सियार, सेही, खरगोश, गोह, मोर
(4) गोमर्डा वन्य जीव अभ्यारण्य:
- जिला : रायगढ़
- स्थापना : 1975
- छेत्रफल : 278 वर्ग km
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- बाघ ,
- तेंदुआ ,
- चीतल ,
- सांभर ,
- नीलगाय ,
- भालू ,
- सोनकुत्ता
प्रमुख वृक्ष
- साजा, धावरा, तेन्दू आचार, मिर्रा, महुआ, कर्रा,
- सलई, बीजा, ऑंवला, खम्हार, दोटा बेल, सेमर,
- हरसिंगार, धवई, कोरिया, बेर, पापडा
(5) बारनावापारा वन्य जीवन अभयारण्य :
- जिला : महासमुंद
- स्थापना : 1976
- छेत्रफल : 245
विशेष
- इस अभ्यारण्य का नाम बारनवापारा गांव के नाम पर पड़ा है।
- बारनवापारा में 150 से भी अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- शेर तेन्दूआ भालू गौर चीतल, सांभर, नीलगाय,
- जंगली शूकर लोमडी, धारदार लकड बग्घा
- जंगली मुर्गे, फेजेन्ट, बुलबुल, ड्रोंगो, कठफोड
प्रमुख वृक्ष
- टीक (टेक्टोना ग्रांडिस)
- साजा (टर्मिनालिया टोमेन्टोसा),
- बीजा (टेरोकार्पस मार्सुपियम),
- लेंडिया (लेगरस्ट्रोमिया पार्विफ्लोरा),
- हल्दु (अदीना कार्डिफोलिया),
- धाओरा (आनोगेसिस लेटिफोलिया),
- सलई (बासवेलिया सेराट),
- आंवला (इंब्लिका अफिकीनालिस),
- अमलतास (केसिया फिस्तुला)
पर्यटक स्थल:-
- देवधारा– देवपुर से 2 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है।
- तेलईधारा– बारनवापारा से 10 कि.मी. दूर यह मनोरम स्थान है। यह स्थान बांस एवं साल के वन से घिरा हुआ है एवं बडा ही रमणीक है। एक जलप्रपात यहां बहता है। पर्यटक यहां पिकनीक का आनंद ले सकते है।
(6) तमोर पिंगला अभयारण्य:
- जिला :- सूरजपुर
- स्थापना :- 1978
- छेत्रफल :- 607 वर्ग km
विशेष
- यह राज्य की सबसे बड़ी अभ्यारण है
- रेहण्ड नदी इस अभयारण्य की दक्षिण-पिश्चम सीमा बनाती है
- गोड, पण्डी, चेरवा, कोडकू और खैरवार जनजातियाँ निवास करती है।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- शेर और तेन्दुआ जैसे मुख्य मांसाहारी वन्य प्राणियों के अतिरिक्त
- गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, भालू, जंगली सुअर, चिंकारा, कोटरी, लंगूर तथा बंदर
- नीलगाय सबसे जयादा पाई जाती है
- पक्षियों में मोर, नीलकंठ, तोता, कोयल, जंगली मुर्गा
- भृंगराज, बुलबूल, दूधराज, पपीहा, तीतर और मैना आदि
प्रमुख वृक्ष
- साल, साजा, धावडा, महुआ, तेन्दू, अर्जुन, तिन्सा,
- हल्दू, आंवला, चारकारी, बांस, धवई और घोट आदि
पर्यटक स्थल:-
- देवी झिरिया’ का मंदिर
- ‘बेंगाची पहाड’, लेफरी घाट,
- सुईलना, घोड़ापाट, माल्हन देवी स्थल,
- कुदरू घाघ और केदू झरिया आदि स्थल हैं।
(7) सेमरसोत अभयारण्य:
- स्थापना :- 1978
- जिला :- बलरामपुर
- छेत्रफल :- 430 वर्ग किमी.
विशेष
- सेंदरी, सेमरसोत, चनआन, सॉंसू, सेंन्दुर एवं मोगराही नदियों का जल प्रवाहित होता है।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- शेर, तेन्दुआ, गौर, नीलगाय, चीतल, सांभर, सोनकुत्ता, भालू,
- कोटरी, सेही स्वछंद विचरण करते देखे जा सकते हैं।
प्रमुख वृक्ष
- साल, साजा, बीजा, शीसम, खम्हार, हल्दू एवं बांस के वन पाये जाते है
पर्यटक स्थल:-
- पवई जलप्रपात तातापानी
(8) भैरमगढ़ जीव अभ्यारण:
- जिला :- बीजापुर
- स्थापना : – 1983
- छेत्रफल :- 139 वर्ग km
विशेष
- उत्तरी सीमा पर बहने वाली इन्द्रावती उत्तर की सिमा बनती है |
प्रमुख वृक्ष
- सागौन,साजा,बांस आदि
पर्यटक स्थल:-
- उत्तरी सीमा पर बहने वाली इन्द्रावती नदी के किनारे का दृश्य बड़ा ही मनोरम है
(9) पामेड वन्य जीव अभ्यारण्य:
- जिला :- बीजापुर
- स्थापना :- 1983
- छेत्रफल :- 265 वर्ग km
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- बाघ ,चीतल,तेंदुआ ,साम्भर
प्रमुख वृक्ष
- साल,साजा
(10) उदंती वन्य जीवन अभयारण्य:
- जिला :- गरियाबंद
- स्थापना :- 1983
- छेत्रफल :- 230 वर्ग km
विशेष
- पिश्चम से पूर्व की ओर बहने वाली उदंती नदी के नाम पर इस अभयारण्य का नामकरण हुआ है।
- 2009 से टाइगर रिजर्व में शामिल है 2006 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया
दर्शनीय स्थल
गोडेना जलप्रपात : यह जलप्रपात कर्रलाझर से 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बहोत ही मनोरम एवं एकांत में है जहां झरने की कलकल ध्वनी से पहाडी से बहती हुई सुनाई देती है। यह पर्यटकों के लिये पिकनीक का एक उत्तम स्थान है।
देवधारा जलप्रपात : तौरेंगा से 12 कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात है। यहां पहुचने के लिये 1.5 कि.मी. पैदल चलना पड़ता है। यह स्थान भी बहोत ही खुबसूरत है एवं यह बांस एवं मिश्रित वन से घिरा हुआ है।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- जंगली भैंसों की बहुतायत के लिये प्रसिद्ध है।
(11) भारेमदेव वन्य जीवन अभयारण्य:
- जिला :- कवर्धा
- स्थापना :- 2001
- छेत्रफल :- 165 वर्ग km
विशेष
- सबसे नवीनतम अभ्यारण है
पर्यटक स्थल:-
- भोरमदेव– 11 वीं शती का चंदेल शैली में बना भोरमदेव मंदिर अपने उत्कृष्ट शिल्प व भव्यता की दृष्टि से छत्तीसगढ का खजुराहों कहा जाता है।
- भोरमदेव मंदिर मूलतः विष्णु को समर्पित मंदिर था बाद में वहां शिवलिंग स्थापित कर दिया गया।
- मडवामहल– भोरमदेव मंदिर से आधा कि.मी. की दूरी पर चौरग्राम के समीप पत्थरों से निर्मित एक शिवमंदिर है।
- छेरी महल – भोरमदेव मंदिर के समीप १ कि.मी. की दूरी पर एक छोटा शिवमंदिर है जो 14 वीं शती का बना हैं मंदिर की चौखट काले पत्थरों की बनी है जिसके उपर आकर्षक भित्तचित्र बने है। गर्भगृह में गणेश प्रतिमा रखी हुई है।
- रानीदहरा– कबीरधाम जिला मुख्यालय से जबलपुर मार्ग पर 35 कि.मी. दूरी पर रानीदहरा नामक जल प्रपात स्थित है। रियासतकाल में राजा रानियां को मनोरंजन के लिए रानीदहरा लाया करते थे। रानीदहरा मैकल पर्वत के आगोस में स्थित है। तीनों ओर पहाडो से घिरे इस जगत पर 90 फीट की उंचाई पर स्थित जलप्रपात बर्बस ही लोगों गको आकृष्ट करता है।
पाये जाने वाले जीव जन्तु
- यहां शेर (बाघ), तेन्दूआ, लगड बग्घा, जंगली, कुत्ता,
- भेडि या, गीदड , लोमडी, जंगली बिल्ली, चीतल, कोटरी,
- सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, वायसन (गौर), लंगुर,
- लाल मुंह का बंदर, नेवला, खरगोश, बिज्जू आदि जानवर पाये जाते है।