छत्तीसगढ़ में वाकाटक वंश छत्तीसगढ़ का इतिहास Vakataka Dynasty in Chhattisgarh History of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में वाकाटक वंश छत्तीसगढ़ का इतिहास Chhattisgarh Me Vakatak Vansh Vakataka Dynasty in Chhattisgarh Chhattisgarh ka Itihas History of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में वाकाटक वंश
Vakataka Dynasty in Chhattisgarh

शासन काल 3 - 4 शताब्दी 


छत्तीसगढ़ में वाकाटक वंश

  • दुर्ग जिला के मोहल्ला से वाकाटक कालीन सिक्के प्राप्त हुए है।
  • वाकाटक कालीन सोने की सिक्के बानबरद गांव से प्राप्त हुआ है।
  • वाकाटक वंश का अंत त्रिपुरी जबलपुर के कलचुरी वंश के शासको ने किया। 
  • वाकाटक वंश के शासक महेन्द्रसेन और पृथ्वि सेन द्वितीय का संघर्ष नल वंश से होता रहा। 
  • बालाघाट के ताम्र लेख से वाकाटक काल के शासको का मैकल और मालवा क्षेत्र पर होने का साक्ष्य प्राप्त होता है।

वाकाटक वंश की राजधानी

  • वाकाटक वंश की राजधानी नन्दिवर्धन (नागपुर ) थी। 

वाकाटक वंश के समकालीन शासक

  • वाकाटक वंश के समकालीन शासक गुप्त वंश एवं नल वंश थे। 

वाकाटक वंश के प्रमुख शासक


महेन्द्रसेन Mahendr Sen 

  • प्रयाग प्रसस्ति के अनुसार महेन्द्रसेन को समुद्रगुप्त अपने दक्षिण विजय अभियान के दौरान हराया था।
  • महेन्द्रसेन का संघर्ष नल वंशो के शासक से होता रहा।

रुद्रसेन II Rudr Sen II

  • चन्द्र गुप्त द्वितीय की पुत्री से विवाह हुवा था।

प्रवरसेन Prvar  Sen 

  • प्रवरसेन के आश्रय में महाकवि कालिदास ने कुछ समय व्यतीत किया। 
  • कालिदास ने अपनी यात्रा के दौरान कुछ समय सरगुजा जिले के रामगढ (रामगिरि) की पहाड़ी पर मेघदूत ग्रंथ की रचना किया एवं सरगुजा को स्वर्ग का द्वार कहा है।
  • मेघदूत का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद मुकुटधर पांडे ने किया है। 

नरेंद्र सेन Narendr Sen

  • ऋद्धिपूर अभिलेख के अनुसार नलवंशी शासक भवदत्त वर्मन ने नरेन्द्रसेन को पराजित किया।
 

पृथ्वीसेन Prithvi Sen

  • केसरीबेड़ा अभिलेख के अनुसार पृथ्वीसेन ने नलवंशी राजा भवदत्त के पुत्र अर्थपति भट्टाचार्य को पराजित किया।

हरिसेन Hari Sen

  • जब वाकाटक वंस नष्ट होने के कगार में था तब वत्स ( गुलाम वंश ) के वाकाटक की एक शाखा ने आकर शासन किया।


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