छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था, ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था In CG ब्रिटिश शासन से पहले छत्तीसगढ़ में शिक्षा

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था, ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था In CG

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था


📚 छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था



🔰 प्रस्तावना

भारत में ब्रिटिश शासन (British Raj) के दौरान शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव हुए। यह बदलाव केवल महानगरों तक सीमित नहीं थे, बल्कि भारत के आंतरिक हिस्सों जैसे कि छत्तीसगढ़ में भी शिक्षा का विस्तार हुआ — हालांकि उसका उद्देश्य भारतीयों को शिक्षित करना नहीं, बल्कि शासन को सुगम बनाना था।

छत्तीसगढ़, जो उस समय मध्य प्रांत (Central Provinces) का हिस्सा था, वहां शिक्षा का विकास सीमित लेकिन राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।


🏛️ ब्रिटिश शासन से पहले छत्तीसगढ़ में शिक्षा

ब्रिटिश शासन के आगमन से पहले छत्तीसगढ़ में शिक्षा की परंपरा मुख्यतः गुरुकुल पद्धति और मौलवियों द्वारा पढ़ाई पर आधारित थी। यहाँ की शिक्षा धार्मिक ग्रंथों, संस्कृत, फारसी और मौखिक ज्ञान पर आधारित थी।
सामान्यतः:

  • ब्राह्मण वर्ग के बालक वेदों और संस्कृत में शिक्षा पाते थे।

  • मुस्लिम समाज में उर्दू और फारसी पढ़ाई जाती थी।

  • अन्य वर्गों के लिए औपचारिक शिक्षा बहुत ही सीमित थी।


🏫 ब्रिटिश काल में शिक्षा की शुरुआत

ब्रिटिश शासन के दौरान छत्तीसगढ़ में औपचारिक शिक्षा का आरंभ हुआ। 19वीं शताब्दी के मध्य तक अंग्रेज़ों ने यह महसूस किया कि भारत के स्थानीय लोगों को शिक्षित किए बिना प्रशासन सुचारू रूप से नहीं चल सकता।

🎓 प्रारंभिक प्रयास:

  • 1840 के दशक में अंग्रेज़ अधिकारियों ने रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे क्षेत्रों में प्रारंभिक अंग्रेजी स्कूल खोलना शुरू किया।

  • पहला बड़ा स्कूल 1860 के दशक में रायपुर में स्थापित हुआ।

  • 1882 में Hunter Commission की सिफारिशों के अनुसार शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने के लिए स्थानीय भाषा में स्कूल शुरू किए गए।


🗃️ शिक्षा का उद्देश्य

ब्रिटिशों का उद्देश्य भारतीयों को उच्च विचार या स्वतंत्रता की शिक्षा देना नहीं था, बल्कि:

  • ऐसे लिपिक, शिक्षक और न्यायालय कर्मचारी तैयार करना था जो अंग्रेज़ी शासन को सहायता दे सकें।

  • ब्रिटिश नीतियों को प्रचारित करने वाले वफादार भारतीय वर्ग को तैयार करना।


🧑‍🏫 स्कूलों का प्रकार

छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत निम्न प्रकार के विद्यालय खोले गए:

प्रकारविवरण
प्राथमिक विद्यालयगांवों में स्थापित, स्थानीय भाषा (हिंदी/छत्तीसगढ़ी) में पढ़ाई होती थी
मिडिल स्कूलतहसील या ज़िला स्तर पर, उर्दू और अंग्रेज़ी का प्रारंभ
हाई स्कूलजिला मुख्यालयों में अंग्रेज़ी माध्यम, उच्च शिक्षा हेतु
मिशनरी स्कूलईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित, शिक्षा के साथ धर्म का प्रचार

📚 पाठ्यक्रम और माध्यम

  • शिक्षा का माध्यम प्राथमिक स्तर पर हिंदी या उर्दू, उच्च स्तर पर अंग्रेज़ी था।

  • पाठ्यक्रम में अंग्रेज़ी साहित्य, अर्थशास्त्र, इतिहास, और कुछ हद तक विज्ञान शामिल था।

  • भारतीय संस्कृति और स्वतंत्र विचार को हतोत्साहित किया जाता था।


🧑‍🎓 छात्रों की स्थिति

ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ में शिक्षा पाने वाले छात्रों की संख्या सीमित थी:

  • ज़्यादातर छात्र उच्च जाति और सामर्थ्यवान वर्ग से आते थे।

  • आदिवासी, दलित, और महिलाओं की शिक्षा लगभग नगण्य थी।

  • कई क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय खेतों में काम कराया जाता था।


👩‍🏫 महिला शिक्षा की स्थिति

ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ में महिला शिक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक थी:

  • केवल बड़े नगरों में कुछ मिशनरी स्कूलों में लड़कियों को पढ़ने की अनुमति दी गई थी।

  • समाज में यह धारणा थी कि लड़कियों को पढ़ाने से उनका "चरित्र बिगड़" सकता है।

  • 1900 के बाद कुछ समाज सुधारकों के प्रयासों से महिला शिक्षा की शुरुआत हुई।


🛐 मिशनरियों की भूमिका

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों ने शिक्षा के माध्यम से प्रचार का कार्य किया।

मिशनरी स्कूलों की विशेषताएँ:

  • निशुल्क शिक्षा, किताबें और भोजन

  • ईसाई धर्म का प्रचार भी साथ में

  • आदिवासियों में शिक्षित वर्ग तैयार हुआ, परंतु धार्मिक पहचान को लेकर आलोचना भी हुई।


📊 शिक्षा के आँकड़े (1901–1947)

वर्षप्राथमिक विद्यालयहाई स्कूलछात्र संख्या
1901~602~4,000
1921~1205~12,000
1941~25010+~35,000
 

🏢 प्रमुख शैक्षणिक संस्थान (ब्रिटिश कालीन)

  1. राजकुमार कॉलेज, रायपुर – उच्च वर्ग के राजाओं-राजकुमारों के लिए

  2. मिशन गर्ल्स स्कूल, रायपुर – महिला शिक्षा की शुरुआत

  3. बिलासपुर हाई स्कूल – अंग्रेज़ी माध्यम का प्रमुख केंद्र

  4. दुर्ग मिडिल स्कूल – स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक सहायक तैयार करने हेतु


🎯 शिक्षा का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव:

  • छत्तीसगढ़ में पहली बार संगठित शिक्षा प्रणाली की शुरुआत हुई

  • एक पढ़ा-लिखा मध्यम वर्ग तैयार हुआ

  • लोगों में अधिकारों के प्रति चेतना आई

  • कुछ छात्रों ने आगे चलकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया

नकारात्मक प्रभाव:

  • शिक्षा केवल चुने हुए वर्ग तक सीमित रही

  • भारतीय परंपराओं और भाषाओं की उपेक्षा हुई

  • स्वतंत्र चिंतन और विरोध को दबाया गया


✊ स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा

ब्रिटिश शिक्षा नीति ने भले ही भारतीयों को "क्लर्क" बनाने की कोशिश की, लेकिन उसी शिक्षा से प्रेरित होकर कई छत्तीसगढ़ी छात्र:

  • राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए

  • महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, जवाहरलाल नेहरू आदि से प्रेरित होकर

  • शिक्षा को जन-जागरण का माध्यम बनाया


📌 निष्कर्ष

ब्रिटिश काल में छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था सीमित, वर्ग आधारित और शासन केंद्रित थी। यह शिक्षा नीति शासकों के हित में थी, परंतु उसने भारतीय समाज में बौद्धिक क्रांति की नींव भी रख दी।

आज जब छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, तब यह जानना जरूरी है कि उसका इतिहास कहाँ से शुरू हुआ।


📎 संबंधित प्रश्न (FAQs)

प्र.1: ब्रिटिश शासन के समय छत्तीसगढ़ में शिक्षा किस उद्देश्य से दी जाती थी?
👉 प्रशासनिक सहायक और लिपिक वर्ग तैयार करना।

प्र.2: क्या छत्तीसगढ़ में महिला शिक्षा को बढ़ावा मिला था?
👉 बहुत सीमित स्तर पर, वह भी मिशनरी प्रयासों से।

प्र.3: ब्रिटिश काल में कौन-कौन से प्रमुख स्कूल थे?
👉 राजकुमार कॉलेज, मिशन स्कूल रायपुर, बिलासपुर हाई स्कूल।

प्र.4: क्या आदिवासियों को शिक्षा मिली थी?
👉 कुछ क्षेत्रों में मिशनरियों ने प्रयास किया, लेकिन व्यापक नहीं था।





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