कंडेल नहर सत्याग्रह
Kandel Canal Satyagraha
कंडेल नहर सत्याग्रह Kandel Canal Satyagraha
वर्ष 1920
- धमतरी तहसील का कंडेल-सत्याग्रह (Kandel Nahar) छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। राष्ट्रीय चेतना के विकास में धमतरी तहसील अग्रणी रहा है। यह कहना उचित होगा कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय चेतना का प्रकाश यहीं से फैला था। पं. सुंदरलाल शर्मा, पं. नारायणराव मेघावाले और बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने वहां आजादी की अलख जगाई। कंडेल नहर सत्याग्रह (Kandel Nahar Satyagraha) एक स्वतंत्र संघर्ष था, लेकिन हम इसे गांधीजी के प्रथम छत्तीसगढ़ आगमन के संदर्भ में याद करते हैं। यही वजह है कि गांधीजी के व्यक्तित्व के आलोक में कंडेल सत्याग्रह नेपथ्य में चला जाता है। कंडेल (Kandel) के किसानों ने अगर अंग्रेजी शासन के हुक्म की तामील की होती, तो संभवतः गांधीजी वर्ष 1920 में छत्तीसगढ़ नहीं आते।
कंडेल (Kandel) का घटनाक्रम
- कंडेल माडमसिल्ली बांध के नजदीक बनाए गए नहर के मार्ग में स्थित है। ब्रिटिश सरकार किसानों से सिंचाई कर की वसूली करती थी। किसानों पर दबाव था कि वे अंग्रेज सरकार से 10 साल का करार करें। हालांकि, अनुबंध की राशि इतनी अधिक थी कि इससे सिंचाई के लिए गांव में ही एक विशाल तालाब बनाया जा सकता था। इसलिए किसान अनुबंध के लिए तैयार नहीं थे। इस घटना को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया।
- कंडेल (Kandel), छोटेलाल श्रीवास्तव की पैतृक संपत्ति थी। धमतरी की नई पीढ़ी को तराशने में बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्हीं के सुझाव पर किसान दस वर्षीय करार के लिए तैयार नहीं थे। प्रशासन किसानों की आड़ में बाबू साहब को सबक सिखाने की मंशा रखता था।
- इसकी सूचना मिलने पर छोटेलाल श्रीवास्तव ने ग्रामीणों से एक साथ बैठक की जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जुर्माना नहीं दिया जाएगा। साथ ही इस अन्याय के विरोध में सत्याग्रह का फैसला किया गया। इस फैसले को तहसील के नेताओं का भी समर्थन प्राप्त था।
- अंग्रेजी सरकार के फैसले के खिलाफ गांव-गांव में जनसभाओं का आयोजन किया जाने लगा। ब्रिटिश सरकार के झूठ का पुलिन्दा लोगों के सामने खुलने लगा। लगातार चल रही इन गतिविधियों से प्रशासन बौखला गया और जुर्माना वसूलने और मवेशियों की जब्ती-कुर्की के आदेश जारी कर दिए गए। जब्त पशुओं को धमतरी के इतवारी बाजार में नीलामी के लिए लाया गया। मगर एक भी व्यक्ति बोली लगाने नहीं आया। लोग समझ चुके थे कि यह सिंचाई विभाग की अन्यायपूर्ण कार्रवाई है। यह सिलसिला क्षेत्र के अन्य बाजारों में भी दोहराया गया। हर जगह प्रशासन को असफलता मिली।
- छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में तहसील भर में सिंचाई विभाग के खिलाफ अलख जग गई थी। प्रशासन न तो जुर्माना वसूल कर पा रहा था और न ही पशुओं के चारा-पानी की व्यवस्था कर पा रहा था। इस तरह पशु भी बीमार होने लगे। प्रशासन के सामने यह एक नई समस्या थी। दोनों पक्ष झुकने के लिए तैयार नहीं थे।
- सितम्बर 1920 के पहले सप्ताह में छोटेलाल श्रीवास्तव, पं. सुंदरलाल शर्मा और नारायण राव मेघावाले की उपस्थिति में कंडेल में सभा हुई। इस सभा में सत्याग्रह के विस्तार का निर्णय लिया गया। अंग्रेजों का अत्याचार भी बढ़ने लगा, साथ ही सत्याग्रह भी। इस तरह पांच महीने बीत गए। कंडेल के सत्याग्रहियों (Kandel Satyagrahiyo) ने पत्राचार कर गांधीजी से मार्गदर्शन और नेतृत्व का आग्रह किया। महात्मा गांधी ग्रामीणों के इस आंदोलन से खासे प्रभावित हुए और वह किसानों का साथ देने के लिए 21 दिसम्बर 1920 को धमतरी के इस आंदोलन में शामिल हो गए। सत्याग्रह को बड़े पैमाने पर फैलता देख अंग्रेजी शासन बौखला गया। अंग्रेजों ने हाथ खड़े कर दिए। ग्रामीणों की गौधन संपदा जिन्हें अग्रेजों ने जब्त कर लिए थे, वापस कर दिए गए। साथ ही जुर्माने की वसूली भी तत्काल रोक दी गई। किसान विजयी हुए। सत्याग्रह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
कंडेल नहर सत्याग्रह (Kandel Nahar Satyagraha) आंदोलन हुआ था कारगर साबित
- सन 1920 में रायपुर से लगभग 70 किमी दूर धमतरी के छोटे से गांव कंडेल के किसानों ने अंग्रेजी शासन द्वारा लगाए गए सिंचाई कर के तुगलती फरमान के विरुद्ध जल नहर सत्याग्रह किया था। जिससे महात्मा गांधी अच्छे खासे प्रभावित हुए और किसानों का साथ देने के लिए 21 दिसंबर 1920 को धमतरी में किसान आंदोलन में शामिल हुए थे। जिससे अंग्रेजों के पसीने छूट गए, सारे गोधन संपदा जिसे अंग्रेजों ने जब्त किए थे, उसे वापस कराया। कंडेल नहर सत्याग्रह अंग्रेजों के खिलाफ बेहद कारगर कदम साबित हुआ। वापसी में गांधी ने रायपुर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया। जिस जगह में गांधी ने भाषण दिया, उस जगह को आज रायपुर में गांधी चौक के नाम से जाना जाता है।
➦ नोट - इस पेज पर आगे और भी जानकारियां अपडेट की जायेगी, उपरोक्त जानकारियों के संकलन में पर्याप्त सावधानी रखी गयी है फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि अथवा संदेह की स्थिति में स्वयं किताबों में खोजें तथा फ़ीडबैक/कमेंट के माध्यम से हमें भी सूचित करें।
इन्हे भी पढ़े ➦
➦छत्तीसगढ़ में सातवाहन वंश | Chhattisgarh me Satvahan Vansh
➦छत्तीसगढ़ धार्मिक छेत्र के प्रमुख व्यक्ति Prominent people of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ धार्मिक छेत्र के प्रमुख व्यक्ति Prominent people of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी Freedom fighter of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ में परिवहन Transport in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की जनसंख्या Population of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ के समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं Chhattisgarh newspapers and magazines
➦छत्तीसगढ़ में खनिज एवं अयस्क संपदा Mineral & Ores in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की मिट्टी एवं उनके प्रकार Chhattisgarh soil and their types
➦छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क Iron Ore In Chhattisgarh
➦ छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन Coal production in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ में रामायण कालीन इतिहास Chhattisgarh Me Ramayan Kalin Itihas
➦छत्तीसगढ़ में परिवहन Transport in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की जनसंख्या Population of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ के समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं Chhattisgarh newspapers and magazines
➦छत्तीसगढ़ में खनिज एवं अयस्क संपदा Mineral & Ores in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की मिट्टी एवं उनके प्रकार Chhattisgarh soil and their types
➦छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क Iron Ore In Chhattisgarh
➦ छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन Coal production in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ में रामायण कालीन इतिहास Chhattisgarh Me Ramayan Kalin Itihas
➦छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान | National Park of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह | STATE SYMBOL OF CHHATTISGARH
➦छत्तीसगढ़ के राजकीय प्रतीक चिन्ह | STATE SYMBOL OF CHHATTISGARH
➦छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ | Tribe of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की लोक नृत्य | Folk dance Of Chhattisgarh In Hindi
➦छत्तीसगढ़ की लोक नृत्य | Folk dance Of Chhattisgarh In Hindi
एक टिप्पणी भेजें