छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन National Movement in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन National Movement in Chhattisgarh
 

🔰 छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन  

National Movement in Chhattisgarh


छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन



🧭 परिचय (Introduction)

भारत का राष्ट्रीय आंदोलन केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका प्रभाव देश के कोने-कोने तक फैला, जिसमें छत्तीसगढ़ का क्षेत्र भी शामिल था। यद्यपि छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण और वनांचल क्षेत्र था, लेकिन यहां की जनजातियाँ, किसान, छात्र, महिलाओं और स्थानीय नेताओं ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

इस ब्लॉग में हम छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत, प्रमुख घटनाएँ, जन-भागीदारी और नेताओं के योगदान को विस्तार से समझेंगे।


📜 1. छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि

छत्तीसगढ़ का भू-भाग 19वीं सदी में मध्य प्रांत का हिस्सा था। यह क्षेत्र प्रशासनिक रूप से भले ही मुख्य आंदोलन केंद्रों से दूर रहा हो, लेकिन सामाजिक अन्याय, आर्थिक शोषण और अंग्रेजी शासन की नीतियों ने यहाँ के जनमानस में विद्रोह की चिंगारी जला दी थी।

यहाँ के जनजातीय समाज और कृषक वर्ग अंग्रेजी शासन के भूमिकर, वन नियमों, अत्यधिक करों, और शोषणकारी व्यवस्था से परेशान थे।


2. प्रारंभिक आंदोलन और विद्रोह

🪓 1. हल्बा विद्रोह (1774-1779)

  • स्थान: बस्तर

  • नेता: राजा दलपत देव और हल्बा जनजाति

  • अंग्रेजों और मराठों के शोषण के खिलाफ यह छत्तीसगढ़ का पहला जनजातीय विद्रोह था।

🔥 2. 1857 का स्वतंत्रता संग्राम

  • छत्तीसगढ़ में यह विद्रोह सीमित रहा, लेकिन रायगढ़, सरगुजा और बिलासपुर में हलचल देखी गई।

  • कुछ स्थानीय ज़मींदारों ने गुप्त रूप से विद्रोहियों को समर्थन दिया।


🏞️ 3. 20वीं सदी में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर

📍i. असहयोग आंदोलन (1920-22)

  • महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर फैल गया।

  • रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव आदि में छात्रों ने स्कूलों का बहिष्कार किया।

  • स्थानीय नेताओं ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और खादी को अपनाया।

👉 प्रमुख नेता:

  • पं. सुंदरलाल शर्मा – छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं।

  • उन्होंने सामाजिक जागरूकता, अस्पृश्यता उन्मूलन और ग्राम स्वराज के लिए कार्य किया।


🔔 4. प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और उनके योगदान

🧑‍🏫 पं. सुंदरलाल शर्मा

  • जन्म: 21 दिसंबर 1881, चम्पारन (रायपुर)

  • सामाजिक और राजनीतिक दोनों आंदोलनों में अग्रणी भूमिका।

  • असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने ग्रामीण जन को संगठित किया।

🔥 ठाकुर प्यारेलाल सिंह

  • छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलन के जनक।

  • रेलवे मजदूरों और मिल मजदूरों को संगठित कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया।

  • उन्होंने शिक्षा और पत्रकारिता के माध्यम से जन-जागरण किया।

📢 दाऊ वासुदेव चंद्राकर

  • दुर्ग जिले के स्वतंत्रता सेनानी।

  • असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय।

  • जेल यात्रा की और कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।

🧑‍🌾 खिलाफत आंदोलन में भागीदारी

  • मुस्लिम समुदाय ने भी छत्तीसगढ़ में खिलाफत आंदोलन में भाग लिया और गांधीजी के नेतृत्व को समर्थन दिया।


🧭 5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में छत्तीसगढ़

  • अंग्रेजों को भारत छोड़ने का आह्वान जब गांधी जी ने किया, तब छत्तीसगढ़ में व्यापक जन आंदोलन हुआ।

  • रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, महासमुंद आदि में जनसभाएँ हुईं, सरकारी दफ्तरों पर हमले किए गए।

  • छात्र, किसान, शिक्षक और आमजन इस आंदोलन में जुड़ गए।

🚫 गिरफ्तारियाँ और दमन

  • कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया।

  • पुलिस फायरिंग और लाठीचार्ज की घटनाएँ हुईं।


📡 6. भूमिगत आंदोलन और गुप्त संगठन

  • 1942 के बाद आंदोलन भूमिगत हो गया।

  • गुप्त पर्चे, पत्र-पत्रिकाओं और भाषणों के जरिए आंदोलन जारी रहा।

  • स्थानीय युवाओं ने गुप्त संगठनों के माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान किया।


🪪 7. महिलाओं की भागीदारी

  • छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी स्वतंत्रता आंदोलन में पीछे नहीं रहीं।

  • विद्या देवी, सुभद्रा कुमारी, श्रीमती लीलावती शर्मा जैसी महिलाओं ने रैलियों में भाग लिया और गिरफ्तार हुईं।

  • कई ने जेल में यातनाएँ सही लेकिन आत्मबल नहीं टूटा।


🌾 8. किसानों और आदिवासियों की भागीदारी

  • किसानों ने करों और जबरन वसूली के खिलाफ आंदोलन किया।

  • आदिवासी समाज ने वनाधिकार और आत्म-सम्मान की लड़ाई लड़ी।

  • इन वर्गों ने छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन को जन आंदोलन का रूप दिया।


📰 9. जन-जागरण में प्रेस और शिक्षा का योगदान

  • ‘छत्तीसगढ़ मित्र’, ‘महाकोशल’, और ‘देशबन्धु’ जैसे समाचार पत्रों ने जागरूकता फैलाई।

  • शिक्षा संस्थानों में भी आज़ादी का भाव भरा गया।


🕊️ 10. स्वतंत्रता प्राप्ति और छत्तीसगढ़

  • 15 अगस्त 1947 को देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ ने भी आज़ादी का जश्न मनाया।

  • जिन नेताओं ने आंदोलन में भाग लिया था, वे बाद में राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक निर्माण में लगे।


🏛️ 11. छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम स्मारक स्थल

📍 स्थानविवरण
रायपुरगांधी उद्यान, स्वतंत्रता सेनानी स्मारक
दुर्गदाऊ वासुदेव चंद्राकर स्मारक
राजनांदगांवठाकुर प्यारेलाल सिंह की मूर्ति
बिलासपुरस्वतंत्रता सेनानियों की दीवार

  

🔚 निष्कर्ष (Conclusion)

छत्तीसगढ़ भले ही राष्ट्रीय आंदोलन के मुख्य केन्द्रों से दूर रहा, लेकिन यहां के लोगों में स्वतंत्रता की भूख, आत्म-सम्मान और संघर्ष का अद्भुत जज़्बा था। यहाँ के आदिवासी, किसान, महिलाएं और छात्र-छात्राओं ने भारत की आज़ादी के लिए जो योगदान दिया, वह इतिहास के पन्नों में अमर है

छत्तीसगढ़ की धरती स्वतंत्रता संग्राम की एक मौन लेकिन शक्तिशाली आवाज़ थी। 

 

  

➦ नोट - इस पेज पर आगे और भी जानकारियां अपडेट की जायेगी, उपरोक्त जानकारियों के संकलन में पर्याप्त सावधानी रखी गयी है फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि अथवा संदेह की स्थिति में स्वयं किताबों में खोजें तथा फ़ीडबैक/कमेंट के माध्यम से हमें भी सूचित करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ